टेबल टेनिस के खेल में एशियाई देश विशेष तौर पर चीन का दबदबा किसी से छिपा नहीं है। इस खेल में कमाल की तेजी की जरुरत होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत ने लगातार टेबल टेनिस के खेल में अपनी पहचान विश्व पटल पर दर्ज कराने में कामयाबी हासिल की है और टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रही मनिका बत्रा ने इसमें खासा योगदान दिया है।
1995 में दिल्ली में जन्मीं मनिका बत्रा के घर में बचपन से ही टेबल टेनिस का माहौल रहा। मनिका की बड़ी बहन राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस खेल चुकी हैं जबकि भाई भी टेबल टेनिस के खिलाड़ी रहे हैं। ऐसे में लाजिमी था कि मनिका का रुझान बचपन से ही इस खेल की तरफ रहा। चार साल की उम्र में ही मनिका ने टेबल टेनिस का पैडल थाम लिया था।
मनिका साल 2006 में कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के लिए पुरुष सिंगल्स का गोल्ड जीतने वाले टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत अंचत कमल से काफी प्रभावित हुईं। मनिका ने साल 2008 में 13 साल की उम्र में अमेरिकी ओपन में जूनियर वर्ग में 1 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल जीतकर अपनी काबिलियत साबित की। इसके बाद मनिका को यूरोपीय देश स्वीडन की एक अकादमी में ट्रेनिंग करने का ऑफर आया जिसमें स्कॉलरशिप शामिल थी। लेकिन मनिका ने इस ऑफर को इसलिए ठुकराया ताकि देश में ही ट्रेनिंग करते हुए भारत का प्रतिनिधित्व करें।
2014 में 19 साल की उम्र में ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में मनिका बत्रा को भारत की ओर से खेलने का मौका मिला और वो क्वार्टर-फाइनल में पहुंची। 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में महिला सिंगल्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली मनिका ने इसी साल रियो में अपना पहला ओलंपिक खेला। इसके बाद 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में मनिका ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए महिला सिंगल्स का गोल्ड जीता और महिला टीम ईवेंट में गोल्ड भारत के नाम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। मनिका ने सिंगापुर की चैंपियन खिलाड़ियों को हराकर उनकी बादशाहत खत्म की क्योंकि इससे पहले हमेशा कॉमनवेल्थ खेलों में टेबल टेनिस का गोल्ड मेडल सिंगापुर की महिलाओं को ही जाता था। मनिका ने महिला डबल्स का सिल्वर और मिक्स्ड डबल्स का कांस्य पदक भी जीता।
मनिका बत्रा को टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। साल 2020 में मनिका को देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया और ये सम्मान जीतने वाली वो पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं।