अनगिनत मुश्किलों और चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए भारत के मरियप्पन थंगावेलू ने रियो में जारी पैरालंपिक्स 2016 में भारत को पुरुषों की T-42 हाई जम्प में गोल्ड मेडल दिलाया। 1.89 मीटर की जम्प लगाने वाले 21 साल के हाई जम्पर रियो पैरालंपिक्स 2016 में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। गोल्ड मेडल विजेता मरियप्पन थंगावेली के बारे में कुछ रोचक बातें: -मरियप्पन सेलम से 50 किमी पेरियावादमगट्टी गांव में जन्मे। उनकी मां गुजर-बसर करने के लिए सब्जी बेचा करती हैं। उनकी मां ने कुछ साल पहले मरियप्पन के इलाज के लिए 3 लाख का लोन लिया था, जिसे वो आजतक नहीं चुका पाए हैं। -जब मरियप्पन 5 साल के थे तो स्कूल जाते वक्त उनका एक्सीडेंट हो गया है, जिसकी वजह से उनका पैर घुटने के नीचे से खराब हो गया था। मरियप्पन वॉलीबॉल में काफी अच्छे थे, लेकिन उनके फिजीकल एजुकेशन के टीचर ने उनकी हाई जम्प की स्किल्स को ज्यादा तरासा -नॉर्मल एथलीट्स के साथ 14 साल की उम्र में कम्पीट करते हुए वो दूसरे स्थान पर आए और अपने प्रदर्शऩ से सभी को चौंका दिया। -उनके कोच सत्यनारायण ने उन्हें 18 साल की उम्र में नेशनल पैरा एथलीट चैंपियनशिप में देखा। बैंगलुरु में कड़े अभ्यास के बाद मरियप्पन 2015 में नंबर 1 बने। ये सीनियर लेवल पर उनका पहला ही साल था। -T42 पैरा एथलीट्स की वो क्लास है, जिसमें हाथ या पैर के साइज में अंतर या मांसपेशियों में अंतर होता है। इस वर्ग के अंदर आने वाले एथलीट्स T-42 के अंतर्गत स्पर्धा में भाग लेते हैं। -तमिलनाडु का ये एथलीट IPC ट्यूनिशिया ग्रां प्री में 1.78 की जम्प के साथ गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। जिसके दम पर उन्होंने पैरालंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया था। -रियो पैरालंपिक्स के दौरान फाइनल में उन्होंने 1.89 मीटर की ऊंचाई तय कर सैम ग्रीयू और भारत के ही वरुण भाठी को हराया। -पैरालंपिक्स के इतिहास में ये भारत का तीसरा गोल्ड मेडल है। इससे पहले मुरलीकांत पेटकर ने 1972 में स्विमिंग, जैवलिन थ्रोअर देवेंदर झाझरिया ने 2004 में जैवलिन थ्रो में जीता था। -मरियप्पन थंगावेलू की इस शानदार कामयाब ने देश और तमिलनाडू का नाम रोशन किया है। उनके मेडल की वजह से भारत मेडल तालिका में 30 स्थान ऊपर चला गया है। मरियप्पन की जम्प की वीडियो: