जब कभी हमारे हाथों में चोट लग जाती है तो हम यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि खाना कैसे खाएंगे, या फिर लिखेंगे कैसे, लेकिन जम्मू की शीतल देवी ने दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद वो कर दिखाया जिसकी कल्पना भी शायद ही कोई कर सके। शीतल ने पिछले साल चीन में हुए पैरा एशियन गेम्स में तीरंदाजी का गोल्ड मेडल जीता और वो भी बिना हाथों का इस्तेमाल किए। 16 साल की शीतल दुनिया की पहली तीरंदाज हैं, जिनके दोनों हाथ नहीं हैं। यही कारण है कि शीतल की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए उन्हें राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2023 के तहत देश की राष्ट्रपति ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया है।
शीतल जम्मू के किश्तवाड़ जिले के लोइधर गांव की रहने वाली हैं। ग्रामीण परिवेश में पैदा हुई शीतल जन्म से ही पोकोलेमिया नामक स्थिति से ग्रसित हैं जिस कारण उनके हाथों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाया। उन्होंने बिना हाथों के ही सारे काम किए। शीतल ने एक इंटरव्यू में बताया कि हाथ नहीं होने के बाद भी उन्हें उनके परिवार और गांव के लोगों ने कभी अलग महसूस नहीं कराया। शीतल के मुताबिक साथ के बच्चों के साथ वह हर काम बिना किसी परेशानी के कर लेती थीं और उन्हें कभी हाथों की कमी महसूस नहीं होती थी, यहां तक कि वह पेड़ों पर भी अपने ऊपरी शरीर की ताकत और पैरों के दम पर चढ़ जाती थीं।
शीतल ने शुरुआत में साथी बच्चों के साथ ही लकड़ी से धनुष बनाकर तीर चलाना खेल-खेल में शुरु किया था जिसमें वह काफी अच्छी थी। कुछ समय बाद साल 2019 में शीतल ने किश्तवाड़ में ही भारतीय थल सेना के एक विशेष यूथ कैम्प में भाग लिया जहां शीतल के टैलेंट पर भारतीय सेना का ध्यान गया और उन्हें सेना ने काफी सपोर्ट किया। शीतल ने कटरा, जम्मू में कोच कुलदीप विद्वान के साथ ट्रेनिंग ली है। कुलदीप विद्वान ने साल 2022 में शीतल को ट्रेनिंग देते हुए एक खास धनुष बनाया जिसे वह पैरों के सहारे आसानी से चला सकें। शीतल ने बेहद कम समय में प्रशिक्षण लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत सभी को हैरान कर दिया।
शीतल ने 2023 में हुई पैरा तीरंदाजी वर्ल्ड चैंपियनशिप के महिला कम्पाउंड वर्ग में एकल स्पर्धा का सिल्वर मेडल जीता। पिछले साल अक्टूबर में चीन के हांगझाओ में हुए पैरा एशियन गेम्स में तो शीतल ने सफलता के झंडे ही गाड़ दिए। उन्होंने कम्पाउंड एकल स्पर्धा में गोल्ड, डबल्स स्पर्धा में सिल्वर तो मिक्स्ड टीम स्पर्धा में एक और गोल्ड जीतने में कामयाबी हासिल की। शीतल को पैरों के सहारे तीर चलाते हुए 10 नंबर पर निशाना लगाते देख एशियाड में हर कोई हैरान रह गया। शीतल की शानदार उपलब्धि के चलते ही उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।