हांगझाओ में हो रहे एशियन गेम्स में भारत को दो बेहद खास खेलों में पदक हासिल हुए हैं। पहला मेडल ब्रिज की पुरुष टीम स्पर्धा में भारत को मिला। यहां फाइनल में हांगकांग के खिलाफ हारने के कारण भारतीय टीम ने सिल्वर मेडल हासिल किया। तो वहीं 'पैरों से खेली जाने वाली वॉलीबॉल' के नाम से मशहूर सेपक टकरा में भारतीय महिला टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। भारत की कुल पदक संख्या अब 100 के आंकड़े के बेहद करीब पहुंच गई है।
हांगकांग के खिलाफ फाइनल में एक दिन पहले भारतीय टीम तीन में से एक सेशन जीती थी जबकि दो सेशन हांगकांग के नाम रहे। शेष तीन सेशन शुक्रवार को खेले गए। यहां हांगकांग ने सभी सेशन जीतते हुए गोल्ड अपने नाम कर लिया। संदीप ठकराल, जग्गी शिवदसानी, राजेश्वर तिवारी, सुमित मुखर्जी, राजू तोलानी और अजय खरे की भारतीय टीम को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
ब्रिज के इस खेल का नाम मूल रूप में कॉन्ट्रेक्ट ब्रिज है। इसमें ताश के पत्तों को इस्तेमाल कर कार्ड ट्रिक खेली जाती है। देखने वाले इस खेल को कम आंक सकते हैं, लेकिन इस स्पर्धा में दिमाग का काफी इस्तेमाल कर स्ट्रैटेजी तैयार करनी होती है, इसी कारण से यह खेल एशियाड में चेस जैसे खेलों की श्रेणी में गिना जाता है।
सेपक टकरा में ऐतिहासिक मेडल
हांगझाओ एशियन गेम्स में भारत को सेपक टकरा के खेल में ऐतिहासिक कांस्य पदक प्राप्त हो गया है। भारतीय महिला टीम ने रेगू सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, जहाँ भारत को थाईलैड के हाथों 2-0 से मात मिली। इस स्पर्धा में सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों टीमों को कांस्य पदक मिलता है।
सेमीफाइनल मुकाबले में भारत की प्रिया देवी, चाओबा देवी और माइपक देवी ने भाग लिया। थाई टीम ने यह मैच 21-10, 21-13 से अपने नाम किया। यह एशियन गेम्स के इस इवेंट में भारत का पहला महिला टीम मेडल है। पिछले एशियाड में भारत को पुरुष टीम ने कांस्य पदक दिलाया था, लेकिन इस बार भारतीय पुरुष टीम पहले ही पदक की दौड़ से बाहर हो गई।
मुख्य रूप से पूर्वी एशियाई देशों में लोकप्रिय सेपक टकरा के खेल को किक वॉलीबॉल भी कहा जाता है। इसमें हाथों की बजाय पैरों से गेंद को विरोधी के पाले में डाला जाता है। खिलाड़ी की जोरदार और सधी हुई किक इस खेल की जान होती है। इसमें प्रयोग में लाई जाने वाली गेंद आमतौर पर सिंथेटिक प्लास्टिक की बनी होती है। साल 1990 में इस खेल को पहली बार एशियन गेम्स में शामिल किया गया था। यह मलेशिया का राष्ट्रीय खेल भी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि हजारों साल पहले इस खेल की शुरुआत चीनी सेना के खेल सूचू से प्रभावित होकर की गई थी।