जकार्ता में हुए पैरा एशियन गेम्स में डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीतने वाली निधि मिश्रा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। यूपी के गाजीपुर जिले की रहने वाली निधि ने आंखों की रोशनी चले जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और अपना सपना पूरा कर दिखाया। उनका अगला लक्ष्य 2020 टोक्यो ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतने का है। ऊषा इंटरनेशनल द्वारा दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान निधि ने अपने पूरे सफर के बारे में स्पोर्ट्सकीड़ा से खास बातचीत की।
आपकी ये पूरी जर्नी कैसे शुरु हुई ?
2010 से मैंने खेलों में कदम रखा। दिल्ली में जब मेरा एडमिशन हुआ तो ग्रेजुएशन के दौरान मुझे पैरा स्पोर्ट्स के बारे में पता चला। 2010 में इफ्सा नेशनल्स हुए, जिसके लिए मैं क्वालीफाई कर गई। उसके बाद से ही लगातार मैंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मेडल भी जीते।
खेलों में जाने का ख्याल ग्रेजुएशन के वक्त आया ?
मुझे पहले से ही खेलों में काफी रुचि थी लेकिन इस प्लेटफॉर्म के बारे में पता नहीं था। मैं पहले एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहती थी। लेकिन बड़े होने पर मुझे एहसास हुआ कि आंखों में दिक्कत की वजह से मैं बैडमिंटन नहीं खेल सकती। इससे मुझे काफी दुख हुआ। हालांकि ग्रेजुएशन में आने के बाद जब मुझे पैरा स्पोर्ट्स के बारे में पता चला तो काफी खुशी हुई। उस समय मैंने ठान लिया कि मुझे खेलों में आगे बढ़ना ही है और इसी वजह से आज मैं इस मुकाम पर हूं।
डिस्कस थ्रो को आपने क्यों चुना ?
मैंने रनिंग में भी कोशिश की थी लेकिन डिस्कस थ्रो मुझे ज्यादा सही लगा। क्योंकि रनिंग में आपको एक गाइड रनर की जरुरत होती है, इसलिए मैंने उसमें जाने का इरादा छोड़ दिया। डिस्कस थ्रो मैं अकेले कर सकती हूं, बस कोई एक आदमी उस थ्रो को उठाने वाला और बताने वाला चाहिए होता है। मेरी ट्रेनिंग भी इसमें काफी अच्छी हो रही है।
एशियन पैरा गेम्स में आपने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया, उसके बारे में क्या कहेंगी ?
एशियन गेम्स में कुछ कमियां रह गई थीं, जिसकी वजह से मैं गोल्ड मेडल नहीं जीत सकी। चीन के खिलाड़ियों की तैयारी काफी अच्छी थी। लेकिन अभी मैं बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हूं और 2020 में होने वाले ओलंपिक में मैं भारत के लिए जरुर गोल्ड मेडल लेकर आउंगी।
अभी हमारे देश के खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ हैं जोकि खुद एक खिलाड़ी रह चुके हैं तो उससे खिलाड़ियों और खेलों पर क्या फर्क पड़ा है।
हां हमें वो पहचान मिली है जिसके हम हकदार हैं। हम लोग जब एशियन गेम्स से वापस आए तो उसके अगले दिन ही माननीय प्रधानमंत्री मोदी और खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने हम लोगों से मुलाकात की। उसी दिन हमें कैश अवॉर्ड भी मिल गए। ये खिलाड़ियों के लिए काफी बड़ी बात होती है और इससे उनका काफी उत्साह बढ़ता है। वहीं दूसरी तरफ अभी बुनियादी कमियां जरूर हैं, जिसमें सुधार लाने की जरूरत है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पैरा एथलीट्स कैटेगरी की जो चुनौतियां हैं उसके बारे में अभी लोगों को बहुत कम जानकारी है। इसके लिए कुछ एक्सपर्ट्स होने चाहिए जो हमारी समस्याओं को सुनकर उनका निदान कर सकें। हमें फंडिंग तो मिलती है लेकिन जानकारी के अभाव में उसका सही तरीके से उपयोग नहीं हो पाता है। इसलिए यहां पर ऐसे लोग होने चाहिए जो इसके बारे में गहरी समझ रखते हों। सरकार ने काफी बेहतरीन काम किया है लेकिन अभी भी हमें लंबा सफर तय करना है।
2020 ओलंपिक और 2019 नेशनल चैंपियनशिप के लिए किस तरह की तैयारी चल रही है ?
उसके लिए मेरी ट्रेनिंग लगातार चल रही है और कई प्रतियोगिताओ में भी मैं हिस्सा ले रही हूं। नवंबर में दुबई में विश्व चैंपियनशिप का आयोजन होगा और वहां पर अच्छा प्रदर्शन करके हम ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकते हैं। मेरा पूरा लक्ष्य यही है कि वहां पर बेहतरीन प्रदर्शन करके मैं ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लूं।
आपने जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हुए छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा था। स्पोर्ट्स के अलावा राजनीति में जाने का विचार कैसे आया ?
राजनीति के जरिए आप लोगों के मुद्दों को उठा सकते हैं। मैंने देखा कि वहां पर कई सारे मुद्दे थे लेकिन कोई भी उस पर बोलने के लिए आगे नहीं आ रहा था। इसीलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था और मैं अपने इस फैसले से काफी खुश हूं।
आपका फेवरिट स्पोर्ट्सपर्सन कौन है ?
मेरी पसंदीदा खिलाड़ी बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल हैं।