टोक्यो ओलंपिक भारत ने कुल मिलाकर 7 पदक अपने नाम किए हैं और देश के लिए ये सबसे सफल ओलंपिक खेल बन गए हैं। खास बात ये है कि सिर्फ एक खेल ऐसा था जिसमें भारत ने 2 पदक जीते, और वो है कुश्ती , जहां रवि कुमार ने सिल्वर तो बजरंग पुनिया ने कांस्य जीतकर देश का परचम लहराया।
कुश्ती में लगातार चौथी बार जीत
कुश्ती ओलंपिक के लिहाज से भारत के लिए सबसे सफल खेल रहा है क्योंकि भारत ने कुल मिलाकर 7 ओलंपिक पदक इस खेल से पाए हैं। आजाद भारत के इतिहास का पहला एकल स्पर्धा का ओलंपिक मेडल 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में पहलवान केडी जाधव लेकर आए थे जो कांस्य पदक था। इसके बाद 56 साल के इंतजार के बाद 2008 बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता।
साल 2012 में लंदन ओलंपिक में भारत को कुश्ती से कुल 2 पदक मिले - सुशील कुमार का सिल्वर और योगेश्वर दत्त का कांस्य पदक। 2016 में साक्षी मलिक ने कुश्ती में ही कांस्य पदक जीता। और अब लगातार चौथे ओलंपिक में भारत ने कुश्ती में पदक हासिल किए हैं।
रवि कुमार और बजरंग का शानदार प्रदर्शन
टोक्यो में जिस तरह परेशानियों को झेल कर रवि कुमार दहिया और बजरंग पुनिया ने जीत हासिल की वो शानदार है। रवि कुमार दहिया को कजाकिस्तान के पहलवान ने सेमीफाइनल में जिस तरह दांतों से काटा था, वो तस्वीर पूरी दुनिया ने देखी। इतने दर्द के बाद भी रवि कुमार ने पिछड़ते हुए प्रतिद्वंदी के दोनों कंधे मैट पर लगाए और विन बाय फॉल करके फाइनल में जगह बनाई। बजरंग पुनिया भी पैर में दर्द के बावजूद लड़ते रहे और कांस्य पदक का मुकाबला पूरी शिद्दत से खेलते हुए 8-0 से जीता।
और मेडल की थी आस
वैसे टोक्यो में भारत के पास मौका था कि कुश्ती के दंगल से और अधिक मेडल जीत पाते। विनेश फोगाट अपनी वेट कैटेगरी में विश्व नंबर 1 थीं, लेकिन क्वार्टर-फाइनल में बेलारूस की पहलवान के डिफेंस के आगे वो हार गईं। विनेश से गोल्ड की उम्मीद थी, लेकिन अब उनका लक्ष्य पेरिस 2024 होगा। ऐसे ही दीपक पुनिया 86 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक के लिए हुए सेमीफाइनल मुकाबले में हार गए।
भारत अखाड़ों का देश रहा है, जहां पौराणिक कथाओं में तक मल्ल युद्ध का जिक्र है। हरियाणा, महाराष्ट्र कुश्ती के गढ़ माने जाते हैं और दिल्ली का छत्रसाल स्टेडियम भविष्य के पहलवानों की जान। ऐसे में हर ओलंपिक में उम्मीद है कि भारत कुश्ती में पदकों की संख्या लगातार बढ़ाने में कामयाब होगा।