भारत में जब भी टेनिस का नाम लिया जाता है तो लिएंडर पेस एक ऐसा नाम है जो शायद सबसे पहले लिया जाता है। पेस के नाम 8 डबल्स टेनिस ग्रैंड स्लैम और मिक्स्ड डबल्स ग्रैंड स्लैम हैं, लेकिन पेस के मुताबिक और हमारे लिए भी उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है साल 1996 के अटलांटा ओलंपिक में जीता गया ब्रॉन्ज मेडल। खास बात ये है कि पेस ने हाथ में चोट के बावजूद इस मेडल को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
1996 में पीट सैम्प्रास के खिलाफ होना था पहला राउंड
साल 1980 में भारत ने मॉस्को ओलंपिक खेलों में हॉकी का गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद लगातार 3 ओलंपिक में भारत खाली हाथ था। पेस ने अमेरिका के अटलांटा में हुए 1996 ओलंपिक खेलों में टेनिस पुरुष एकल स्पर्धा का कांस्य पदक जीता। पेस के मुताबिक उन्होंने इस ओलंपिक के लिए खास मेहनत और तैयारी की। आप शायद न जानते हों लेकिन पेस को पहले राउंड में टेनिस लेजेंड पीट सैम्प्रास का सामना करना था। लेकिन किसी कारण से पीट सैम्प्रास ने भाग नहीं लिया और पेस ने अमेरिका के ही रेनबर्ग के खिलाफ खेल कर अपने ओलंपिक अभियान की शुरुआत की।
टूटे हाथ के साथ जीता ओलंपिक मेडल
पेस ने अटलांटा ओलंपिक में पहले, दूसरे, तीसरे राउंड में जीत हासिल की और क्वार्टर-फाइनल में भी इटली के रेन्जो फर्लान को सीधे सेटों में हरा दिया। सेमीफाइनल में उनका मुकाबला तब विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी अमेरिका का आंद्रे आगासी से था जिन्होंने पेस को 7-6, 6-3 से हराया। इस मुकाबले में पेस के दाएं हाथ के लिगामेंट में चोट आ गई थी, जिसके कारण उन्हें काफी दर्द हो रहा था। ओलंपिक मेडल की आस अभी बाकि थी और उन्हें ब्राजील के फर्नांडो मेलिजेनी के खिलाफ मुकाबला खेलना था। पेस हाथ में चोट के कारण कैस्केट पहनकर मैदान में आए। लेकिन पूरे देश की निगाहें उनपर और उम्मीद उनके खेल पर थीं। ऐसे में पेस ने पहला सेट 3-6 से हारने के बावजूद चोट के साथ अगले दोनों सेट 6-2, 6-4 से जीत लिए और केडी जाधव के बाद भारत को एकल स्पर्धा में ओलंपिक पदक दिलाने वाले दूसरे और टेनिस में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन गए।
पूरा किया ओलंपिक चैंपियन पिता का सपना
बहुत कम लोगों को पता है कि लिएंडर पेस का बचपन से ही सपना था ओलंपिक मेडल जीतने का। और इसका कारण थे उनके पिता डॉ. वेस पेस जो एक हॉकी खिलाड़ी थे और साल 1972 में म्यूनिक ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे। पेस बचपन में पिता का मेडल साफ करते हुए ओलंपिक में जीत का सपना देखते थे। पेस को 1996 के ओलंपिक मेडल के लिए देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न दिया गया।
विश्व नंबर 1 प्लेयर थे पेस
साल 1973 में जन्में पेस की मां जेनिफर पेस 1980 में एशियाई खेलों में भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम की कप्तान थीं। पेस ने शुरुआत से ही टेनिस को बतौर करियर चुना और बचपन से ही ट्रेनिंग शुरु की। पेस टेनिस में काफी अच्छे थे और साल 1991 में जूनियर यूएस ओपन जीतकर इतिहास रच दिया। पेस विश्व जूनियर टेनिस एकल रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंच गए थे। साल 1992 में रमेश कृष्णन के साथ बार्सिलोना ओलंपिक के मेंस डबल्स में पेस क्वार्टर-फाइनल में हार गए थे। इस हार के बाद उन्होंने 1996 ओलंपिक को लक्ष्य बना लिया था।
डबल्स में दिखाया दम
पेस ने धीरे-धीरे सिंगल्स के बजाय डबल्स टेनिस में ध्यान देना शुरु किया और महेश भूपति के साथ मिलकर भारत की ओर से टेनिस में नए आयामों को छुआ। साल 1998 में दोनों तीन ग्रैंड स्लैम के अंतिम 4 में पहुंचे, जबकि 1999 में उन्होंने विंबल्डन और फ्रैंस ओपन का डबल्स खिताब जीत लिया। इस साल वो बाकि दोनों ग्रैंड स्लैम - ऑस्ट्रेलियन ओपन और यूएस ओपन के फाइनल में भी पहुंचे थे। 2001 में भी दोनों ने फ्रैंच ओपन जीता, इसी साल पेस को पद्मश्री सम्मान दिया गया। इसके बाद 2014 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। साल 2002 में भूपति-पेस की जोड़ी ने बुसान एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
साल 2003 में पेस ने टेनिस की महानतम खिलाड़ियों में से एक मार्टिना नवरातिलोवा के साथ मिश्रित युगल की जोड़ी बनाई और आते ही ऑस्ट्रेलियन ओपन और विंबल्डन जीत लिये। पेस ने कारा ब्लैक, रादेक स्तापनेक, मार्टिना हिंगिस जैसे खिलाड़ियों के साथ भी डबल्स और मिक्स्ड डबल्स की अलग अलग टेनिस प्रतियोगिताओं में भाग लिया। पेस पुरुष और मिक्स्ड डबल्स में चारों ग्रैंड स्लैम अपने नाम कर चुके हैं।
पेस ने लगभग तीन दशकों तक टेनिस खेली है और आज भी भारत समेत विश्व में जब भी टेनिस डबल्स की बात होती है तो पेस का नाम सबसे महान खिलाड़ियों में आता है। पेस की उपलब्धियां इतनी हैं कि उनपर सच में एक किताब लिखी जा सकती है। इस खिलाड़ी ने हमेशा लो प्रोफाइल रखने की कोशिश की, लाइमलाइट में खुद की काबिलियत के दम पर ही आए। शायद पेस ओलंपिक में भारत के लिए लकी चार्म भी रहे क्योंकि उनकी 1996 के ओलंपिक पदक के बाद हुए सभी ओलंपिक खेलों में भारत ने मेडल जीता है। एक ओलंपियन पिता और एक राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी मां के बेटे पेस ने अपने परिवार और अपने देश को सभी ग्रैंड स्लैम के साथ ही ओलंपिक पदक के साथ जो खुशी दी है उसके लिए सभी खेल प्रेमी उनका धन्यवाद करते हैं।