Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक की शुरुआत में पहले ही दिन भारत ने रोइंग के साथ अपने अभियान का आगाज किया। भारत की ओर से केवल एक ही खिलाड़ी रोइंग में भाग ले रहे हैं। उनका नाम बलराज पंवार हैं। बलराज पंवार रोइंग की शुरुआती रेस में चौथा स्थान हासिल किया। जिसके चलते वह डायरेक्ट क्वार्टर फाइनल में नहीं पहुंच पाए हैं। वह अब रेपेचेज में हिस्सा लेंगे।
बलराज पंवार के पास बड़ा मौका
बलराज पंवार के पास अब रेपेचेज के जरिए सेमीफाइनल या फाइनल में जगह बनाने का दूसरा मौका मिलेगा। 25 साल के बलराज पंवार ने पहले राउंड में सात मिनट 7.11 सेकेंड का समय लिया। वहीं, जिसके चलते वह न्यूजीलैंड के थॉमस मैकिनटोश (छह मिनट 55.92 सेकेंड), स्टीफानोस एनतोस्कोस (सात मिनट 1.79 सेकेंड) और अब्देलखालेक एलबाना (सात मिनट 5.06 सेकेंड) से पीछे रहे। रोइंग भारतीय के लिए एक नया खेल हैं। शायद आज से पहले कुछ फैंस ने तो इसका नाम भी नहीं सुना होगा। लेकिन इसका इतिहास काफी पुराना है।
कब हुई थी रोइंग खेल की शुरुआत?
माना जाता है कि एक खेल के रूप में रोइंग की शुरुआत 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुई थी। पहली बार साल 1829 में टेम्स नदी पर ऑक्सफोर्ड बनाम कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी बोट रेस का आयोजन किया गया था। वहीं, ओलंपिक में 1896 से ही ये खेल खेला जा रहा है। आधुनिक युग के पहले ओलंपिक खेल का आयोजन 1896 में एथेंस में किया गया था तब रोइंग खेलों का हिस्सा था। लेकिन तब समुद्र के खराब मौसम को देखते हुए इसे रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 1900 के ओलंपिक में इस खेल में पहली बार किसी ने मेडल जीता था। दूसरी ओर, भारत ने पहली बार 2012 ओलंपिक के दौरान इस खेल में हिस्सा लिया था, लेकिन अभी तक एक भी मेडल नहीं जीता है।
रोइंग पहले सिर्फ पुरुषों का खेल था। इसके बाद 1976 में महिलाओं को भी इस खेल में शामिल किया गया। वहीं, 1996 में लाइटवेट स्पर्धाओं को इसमें लाया गया। जानकारी के मुताबिक, शुरुआत में यह खेल एक हजार मीटर की दौड़ का होता था, लेकिन बाद में इसे 2 हजार मीटर कर दिया गया। रोइंग का वर्ल्ड कप भी होता है जिसमें दुनियाभर खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं।