अपने भारतीय ओलम्पियंस को जानें: प्रकाश नंजप्पा और गुरप्रीत सिंह (निशानेबाज़)

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ओलम्पिक खेलों में निशानेबाज़ी के शामिल होने के बाद से भारत के पदक जीतने के मौके काफी बढे हैं। राज्यवर्धन सिंह राठौर का एथेंस में रजत जीतना, अभिनव बिंद्रा का साल 2008 में बीजिंग में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतना और उसके बाद भारतीय टीम ने साल 2012 में लन्दन ओलम्पिक में दो पदक जीते थे। जिसमें गगन नारंग ने 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य और विजय कुमार ने 25 मीटर एयर पिस्टल में रजत पदक जीता था। इस बार ब्राजील के रियो डे जनेरियो में खेलों का महाकुम्भ शुरू होने वाला है। ऐसे में एक बार फिर भारतीय निशानेबाजों से पूरे देशवासियों को उम्मीद है। इस लेख के जरिये हम आपको इस बार रियो में शामिल होने जा रहे दो भारतीय निशानेबाजों के बारे में बतायेंगे: #1 प्रकाश नंजप्पा 29 फरवरी 1976 में नंजप्पा बंगलौर में पैदा हुए थे। उनकी उम्र 39 साल है। वह देश के सबसे उम्रदराज निशानेबाज़ हैं। नंजप्पा 50 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में निशाना लगाते हैं। वह भारत के छठे निशानेबाज़ हैं। जिन्होंने भारत के लिए ओलम्पिक कोटा हासिल किया है। अज़रबैजान के गबाला में हुए आईएसएसएफ वर्ल्डकप में वह 8वें नम्बर पर आये थे। नंजप्पा ने साल 1999 में कामनवेल्थ खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में रजत पदक जीता था। 2003 तक वह खेल से जुड़े रहे। लेकिन उसके बाद वह कनाडा में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करने चले गये। लेकिन साल 2009 में उन्होंने अपने पिता के कहने पर खेलों में दोबारा वापसी की। उनके पिता पीएस पपन्ना खुद राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज़ रह चुके हैं। उसके बाद उन्होंने चंगवन कोरिया में आईएसएसएफ वर्ल्डकप में बड़ी सफलता हासिल करते हुए कांस्य पदक जीता। लेकिन वह इस सफलता की ख़ुशी ही मना रहे थे। तभी उन्हें फेसिअल पैरालिसिस हो गया। जिसमें उनके चेहरे का दायाँ हिस्सा पैरालाइज हो गया। तकरीबन एक से डेढ़ महीने के बाद वह दोबारा से फिट हो गये। अक्टूबर 2013 में अपनी बीमारी से उबरने के बाद इरान के तेहरान में हुए एशियन एयरगन चैंपियनशिप में उन्होंने 50 मीटर पिस्टल में रजत पदक हासिल किया। साल 2014 में हुए कामनवेल्थ खेलों में उन्होंने रजत पदक और इनचियोन एशियन खेलों में कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा वह इन्हीं दो सालों के दौरान दो बार विश्वकप के फाइनल में भी पहुंचे थे। दुर्भाग्य से वह इनमें से एक बार भी मैडल नहीं जीत पाए थे। ओलम्पिक गोल्ड क्वेस्ट एक एनजीओ है जो नंजप्पा को सहयोग प्रदान करती है। उनके मुताबिक नंजप्पा का साल 2015 में हुए प्रतियोगिताओं में अच्छा खासा प्रदर्शन रहा है। लेकिन वह मैडल लायें इसकी कोई गारंटी नहीं है। लेकिन उन्होंने अपनी निरन्तरता से रियो का टिकट हासिल किया है। जहाँ वह अपनी पूरी क्षमता से उतरने वाले हैं। #2 गुरप्रीत सिंह Gurpreet-Singh गुरप्रीत सिंह जो अमृतसर के रहने वाले हैं। वह आर्मी में हैं और उनकी उम्र 28 साल है। इस पंजाबी ने जर्मनी के म्युनिक में हुए आईएसएसएफ वर्ल्डकप में 154.8 अंक हासिल करके रियो का कोटा हासिल किया। क्वालिफिकेशन में 138 निशानेबाज़ शामिल हुए थे। इससे पहले गुरप्रीत ने दो बार कामनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। वर्ल्ड कप में वह जीतू राय से 1 अंक पिछड़ने से 8वें स्थान पर आये थे। राष्ट्रीय कोच सनी थॉमस और पर्सनल कोच स्मिरनोव पावेल की देखरेख में गुरप्रीत ने साल 2015 में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इसी इवेंट में गुरप्रीत 25 मीटर के रैपिड फायर केटेगरी में भी भाग लेते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से वह इसमें ओलम्पिक कोटा हासिल नहीं कर पाए। इसके अलावा ग्बाला वर्ल्डकप में वह म्युनिक की सफलता दोहराते हुए बेहतरीन आत्मविश्वास दिखाया था। 600 में उन्होंने 586 अंक हासिल किए थे। जहाँ उन्होंने 25 मीटर पिस्टल के क्वालीफाइंग राउंड में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए थे। लेकिन एक बार फिर वह आखिरी राउंड में 6 में से 5 वें नम्बर पर आये थे। इन सबके बावजूद गुरप्रीत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बीते साल वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंचे जो सितम्बर में म्युनिक में हुआ था। वह 10 निशानेबाजों में से एक हैं, जिन्होंने पूरे साल बेहतरीन खेल दिखाया है। वह फाइनल में भले ही मैडल जीतने में नाकामयाब रहे हैं लेकिन वह क्वालीफाई राउंड के दुसरे सबसे अच्छे निशानेबाज़ रहे हैं। आत्मविश्वास की बात की जाय तो उन्होंने इस साल इसे खूब हासिल किया है और इससे उनकी क्षमता काफी विकसित हुई है। अगर वह फाइनल में अपना प्रदर्शन सुधारने में कामयाब हो गये तो इसमें कोई शक नहीं कि वह ओलम्पिक में व्यक्तिगत मैडल जीतने में कामयाब होंगे। ओलम्पिक गोल्ड क्वेस्ट ने इस बात की घोषणा भी की है कि वह इस खिलाड़ी को रियो अपना पूरा सहयोग प्रदान करेंगे।