टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पीवी सिंधू का मानना है कि पेशेवर तरीके से महिला खिलाड़ियों को प्रशीक्षण से उनके प्रदर्शन में निखार आएगा। भारत में पेशेवर प्रशीक्षण के बात करें तो बहुत कम पुरूष या महिला खिलाड़ी होते हैं। जिन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर के कोच करने का साथ काम या फिर उस स्तर की सुविधा मिल पाती है।
भारत में अंतराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण इंडिया कैंप में या फिर विदेशों में ही मिलता है। हालांकि इन सब चीजों में भी बदलाव देखने को मिला है। हिंदुस्तान के काफी खिलाड़ियों को अब विदेशी गुरू के साथ प्रशिक्षण करने का मौका मिल रहा है। जिससे उनके प्रदर्शन में भी सुधार देखने को मिला। उदाहरण के तौर पर भारतीय पुरूष,महिला और खुद सिंधू को भी देख सकते है। इन खिलाड़ियों के टोक्यो ओलंपिक में जिस तरह का प्रदर्शन किया। उसका हर कोई कायल है। ऐसे ही जमीनी स्तर पर हर एक खिलाड़ी चाहें वो पुरूष हो या महिला अगर इन लोगों को ऐसे सुविधा मिले तो आप अनुमान लगा सकते हैं। ये खिलाड़ी कितनी लंबी उड़ान भरेंगे। भारत में सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर कई अकादमी या प्रशिक्षण शिविर चला रही है। लेकिन पेशेवर कोच को छोड़ दिया जाए तो वहां पर कोच ही नहीं है।
खिलाड़ी खुद अपने आपको प्रशिक्षण देते हैं। वो गलत सीख रहे हैं। या सही इसके देख-रेख करने वाला कोई नहीं है। पीवी सिंधू की बाद बिलकुल सत्य है कि अगर महिला खिलाड़ियों को पेशेवर तरीके से प्रशिक्षण दिया जाए तो वो मेडल लाएंगी। लेकिन जनाब सबसे पहले हर एक अकादमी में उस्तादों की सेवा भी तो बढ़ानी पड़ेगी। प्राइवेट सेक्टर में खिलाड़ियों को फिर भी कोच मिल जा रहे हैं। वहीं सरकारी संस्थानों में अभी भी प्रशिक्षक का अभाव है। जहां प्रशिक्षक हैं भी तो वो पेशेवर नहीं है। भारत में ऐसे कई स्कूल हैं जहां पर फिजीकल एडुकेशन को आज भी टाइम पास की चीजें मानी जाती है।
इंडियो को अगर स्पोर्टिंग पावर हाउस बनाना है तो सबसे पहले स्पोर्टस कल्चर लाना पड़ेगा। स्पोर्टस कल्चर लाने के लिए पेशेवर रवैया अपनाना पड़ेगा। पेशेवर रवैये के मतलब एक रूटीन से काम करना होगा। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 33वें स्थान प्राप्त किया है। भारतीय खेल मंत्रालय को 33 से 30 पर आने के लिए रोडमैप तैयार करना पड़ेगा। रोडमैप का मतलब सबसे पहले हर एक संस्थानों में कोच की नियुक्ति। कोच की नियुक्ति के बाद वहां के इन्फ्रस्ट्रक्चर को सुधारना। इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के बाद। किसी अकादमी में कितने खिलाड़ी हैं। उसके अनुसार सुविधा देना। ये सारी चीजें जब एक जगह होंगी तो फिर अपने आप पेशेवर प्रशिक्षण होना शुरू हो जाएगा।