दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की ओर से ध्वजवाहक यानी Flag Bearer होंगी। भारतीय ओलंपिक संघ यानी IOA ने ये फैसला लिया और आधिकारिक घोषणा भी की। सिंधू 2018 में हुए गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में भी भारत की ध्वज वाहक रह चुकी हैं। टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ध्वज वाहक बनने के सबसे प्रबल दावेदार थे, लेकिन चोट के कारण वो इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा नहीं बनेंगे।
हाल ही में विश्व एथलेटिक्स चैंपयिनशिप में जैवलिन थ्रो का सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने एक दिन पहले ही ऐलान किया कि वो मांसपेशी में चोट के कारण आराम कर रहे हैं और कॉमनवेल्थ खेलों में भाग नहीं ले पाएंगे। नीरज ने टोक्यो ओलंपिक में देश को ट्रैक एंड फील्ड का पहला गोल्ड दिलाया जिसके बाद माना जा रहा था कि उन्हीं को इस बार बर्मिंघम में भारतीय दल के आगे राष्ट्रीय ध्वज लेकर चलने का मौका मिलेगा। लेकिन नीरज की चोट की खबर आने के बाद से ही अटकलें लगनी शुरु हो गईं थीं कि 28 जुलाई को होने वाली ओपनिंग सेरेमनी में भारत का ध्वज वाहक कौन होगा। ऐसे में सिंधू को ये मौका एक बार फिर मिला है।
सिंधू ने रियो ओलंपिक में बैडमिंटन महिला सिंगल्स का सिल्वर जीता और फिर पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में महिला सिंगल्स का ब्रॉन्ज जीत ओलंपिक में भारत की ओर से दो पदक जीतने वाली पहली महिला बनीं। उनसे पहले ये कारनामा पुरुषों में सुशील कुमार कर चुके हैं जिनके पास कुश्ती में दो ओलंपिक पदक हैं।
सिंधू के अलावा वेटलिफ्टर मीराबाई चानू का नाम भी ध्वज वाहक बनने की दौड़ में शामिल था जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। वहीं टोक्यो ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट बॉक्सर लोवलीना बोर्गोहिन के नाम की भी चर्चा थी। लेकिन आखिरकार सिंधू के नाम पर मुहर लगी।
इतने बड़े खेल आयोजनों में ओपनिंग सेरेमनी में सभी देशों के दल एक-एक कर स्टेडियम में प्रवेश करते हैं और दर्शक उनका अभिवादन करते हैं। इस दौरान हर देश के दल के सबसे आगे एक या दो खिलाड़ी राष्ट्रीय ध्वज लेकर चलते हैं और ध्वजवाहक कहलाते हैं। यह किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ा सम्मान होता है।