Rio Olympics 2016: बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 10 भारतीय खिलाड़ी

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टोक्यो को हाई कहने के साथ ही रियो ओलंपिक का सफर पूरा हुआ। खेलों के इस महाकुम्भ में इस बार भारत का सफर काफी निराशाजनक रहा। हालाँकि भारतीय दल के खिलाड़ियों ने कई बहुत ही नजदीकी मुकाबले खेले। जिसकी वजह से भारत को सिर्फ दो मैडल ही मिले। लेकिन इन सबके बावजूद भारत के कई खिलाड़ियों ने शानदार खेल दिखाया। आइये हम आपको बताते हैं भारत की तरफ बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले 10 खिलाड़ियों के बारे में: #10 दत्तु भोकानल रियो ओलंपिक में एकमात्र भारतीय रोइंग खिलाड़ी दत्तु भोकानल ने अपने जीवन में पहली बार इतना पानी देखा था। इस युवा रोवर ने इस महाकुम्भ में पहली बार में भाग लेते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया। पुरुषों के सिंगल्स स्क्ल्स के सी फाइनल में दत्तु ने 6:54.96 सेकंड का समय निकालकर पहले स्थान पर रहे थे। दत्तु ने चौथा स्थान हासिल करके क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई थी। जहाँ वह 15 वें स्थान पर रहे थे। भोकानल ने सी/डी के सेमीफाइनल में 7 मिनट 19.2 सेकंड का समय निकालकर दूसरे पर थे। जिसकी वजह से वह सिंगल्स स्क्ल्स ‘सी’ के फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहे थे। दत्तु के सफलता की कहानी के लिए हम सभी को उनका सम्मान करना चाहिए। आने वाले समय में वह भारत को नयी ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। #9 अतानु दास ad1-1471862944-800 भोकानल की तरह ही अतानु ने भी भारत की तरफ से एकमात्र पुरुष तीरंदाज थे। एकल प्रतियोगिता में 24 वर्षीय अतानु ने शानदार खेल दिखाते हुए नेपाल के मुक्तल को हराते हुए 5वां रैंक हासिल किया था। उसके बाद क्यूबा के एड्रिअन को अतानु ने 6-4 से हराया था। अतानु को दक्षिण कोरिया के ली सुंग उन ने 6-4 से हराकर ओलंपिक से बाहर किया था। अतानु, जो अपना पहला ओलंपिक खेल रहे थे उस हिसाब से उनका प्रदर्शन शानदार था। आने वाले समय में अभिषेक वर्मा के साथ मिलकर वह भारत के लिए और अच्छा खेल दिखायेंगे। #8 ललिता बाबर barafa-1471862986-800 इस बार ओलंपिक में ललिता बाबर ने अपने प्रदर्शन से इस महाकुम्भ के शुरुआती दिनों में भारतीय प्रशंसकों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी थी। 3000 मीटर के स्टीपलचेज में ललिता ने 10 वां स्थान हासिल किया था। फाइनल में उनकी टाइमिंग 9:22.74 था। 27 साल की एथलीट ने एशियन चैंपियनशिप का गोल्ड अपने नाम किया हुआ है। जिसके बाद उन्हें रियो का टिकट मिला था। उन्होंने 9:16.76 का समय निकालकर अपने राउंड में 7 वां स्थान हासिल किया था। उसके बाद उन्होंने फाइनल में कमाल का खेल दिखाया था। जबकि उनके घुटने में चोट थी। विश्व स्तर पर एथेलेटिक्स में पदक जीतना अभी भारत के लिए सोचने की बात है क्योंकि ये खेल अभी भारत में दम तोड़ रहा है। ऐसे में ललिता और कम्पनी के प्रदर्शन को देखते हुए आने वाले समय हमें बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। #7 विकास कृषण यादव vky-1471863034-800 अगर सबसे ज्यादा किसी चीज में हमें निराशा हुई है तो वह बॉक्सिंग है। लन्दन ओलंपिक में भारत की तरफ 8 मुक्केबाजों ने क्वालीफाई किया था। लेकिन रियो में मात्र 3 मुक्केबाज ही क्वालीफाई कर पाए थे। हालाँकि इन तीनों में से ब्राज़ील से पदक लाने की आशा विकास कृषण यादव से सबको थी। विकास ने सकारात्मक शुरुआत करते हुए चार्ल्स कांवेल्ल को 3-0 से हराया। उसके बाद उन्होंने ओंडेर सिपा को हराकर क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई। हालाँकि उज्बेकिस्तान के बेक्तेमिर मेलिकुजीव से 3-0 से हारकर विकास यादव ओलंपिक से बाहर हो गये। लेकिन इन सबके बावजूद एशियन चैंपियन विकास का प्रदर्शन ओलंपिक में काफी अच्छा रहा। ऐसे में टोक्यो में होने वाले 2020 में ओलंपिक खेलों में उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। #6 सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना bopsss-1471863148-800 पुरुषों के डबल्स में पहले ही राउंड में बाहर होने के बाद रोहन बोपन्ना ने सानिया मिर्जा के साथ मिक्स्ड डबल्स में मेडल जीतने के मौके बना लिए थे। इस जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के सामंथा स्टोसुर और जॉन पीअर्स को 7-5 और 6-4 के सीधे सेटों में हराकर दूसरे राउंड में जगह बनाई थ, जहाँ इस जोड़ी ने ग्रेट ब्रिटेन के एंडी मरे और हीदर वाटसन को भी सीधे सेटों में 6-4 और 6-4 हरा दिया था। ये जोड़ी एक जीत के बाद मेडल जीतने की रेस में शामिल हो जाती। मिर्जा और बोपन्ना का मुकाबला अमेरिका की वीनस विलियम और राजीव राम से हुआ। जहाँ इस जोड़ी ने बढ़िया शुरुआत करते हुए पहले सेट को आराम से 6-2 से जीत लिया। लेकिन अमेरिकी जोड़ी ने वापसी करते हुए दूसरा सेट 6-2 से जीत लिया। इसके बाद टाईब्रेक में अमेरिकी जोड़ी ने सानिया और बोपन्ना को 10-3 से हराकर फाइनल में जगह बना ली। इसके बावजूद भारतीय जोड़ी के पास कांस्य पदक जीतने का मौका था। जहाँ उनका मुकाबला चेक गणराज्य के राडेक स्टेपनेक और लूसिया राडेका से हुआ। लेकिन मौके को न भुना पाना और कुछ खामियों की वजह से भारतीय जोड़ी ये मुकाबला 1-6, 5-7 से हार गयी। चौथे स्थान पर रहने वाली इस भारतीय जोड़ी की अहम किरदार सानिया मिर्जा ने अपने भावात्मक सन्देश में कहा कि 2020 में टोक्यो ओलंपिक में उनका खेलना पक्का नहीं है। लेकिन भारतीय टेनिस के लिए सानिया का खेलना अहम है। हो सकता है वह जापान में देश को मेडल दिलाएं। #5 किदम्बी श्रीकांत ks1-1471863234-800 किसी भी एथलीट के लिए अपने पहले ओलंपिक में मेडल जीतना जरुरी नहीं रहा है। किदम्बी श्रीकांत ने रियो में भारत की तरफ से सिंगल्स में बेहतरीन चुनौती पेश की। परुपल्ली कश्यप की गैर मौजूदगी में उनके कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी थी। श्रीकांत ने अपने सफर की शुरुआत लीनो मुनोज़ और हेनरी हर्सकैनन को सीधे सेटों में क्रमशः 21-11, 21-17 और 21-6, 21-8 से हराकर किया था। जहाँ वह अंतिम 16 में पहुँच गये थे। इस भारतीय ने अपने आक्रामक खेल से जन ओ जोर्गेंसन को 21-19, 21-19 से हराकर क्वार्टरफाइनल में जगह बना लिया। जहाँ उनका मुकाबला अभी तक के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी लिन डान से हुआ। श्रीकांत ने आक्रामक खेल जारी रखा हालाँकि वह ये मुकाबला 6-21, 21-11 और 21-17 से हार गये। जिसके बाद उनका ओलंपिक सफर खत्म हो गया। 23 साल के श्रीकांत अपने पूरे ओलंपिक सफर में खासे आक्रामक नजर आये। जिसे देखकर भारतीय पुरुष बैडमिंटन का भविष्य अच्छा लग रहा है। #4 अभिनव बिंद्रा abb-1471863290-800 रियो ओलंपिक अभिनव बिंद्रा का आखिरी ओलंपिक था। ऐसे में पूरे देश को उनसे खासी उम्मीदें थी। उन्होंने खुद इस बात की तस्दीक कर दी थी कि वह अपने आखिरी ओलंपिक को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए खत्म करना चाहते हैं। तीसरे दिन हुए क्वालिफिकेशन राउंड में 33 वर्षीय अभिनव बिंद्रा ने 625.7 का स्कोर करके 7वां स्थान हासिल करते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई कर गये थे। फाइनल में इस भारतीय निशानेबाज़ ने शानदार शुरुआत की। लेकिन कुछ गलतियों की वजह से वह पिछड़ते गये। जिसके बाद उन्हें शूट ऑफ़ में खेलना पड़ा। दिग्गज भारतीय निशानेबाज़ को 0.5 अंक पीछे रहने की वजह से चौथे स्थान पर रहना पड़ा। इस तरह से उनके करियर का अंत हुआ। #3 दीपा करमाकर soifjefc-1471868604-800 2 मेडल जीतने वाले एथलीट के बजाय इस ओलंपिक अगर किसी अन्य भारतीय एथलीट को अगर याद किया जाएगा, तो दीपा करमाकर होंगी। 23 वर्षीय इस जिमनास्ट ने अपनी बहादुरी से सभी को प्रभावित किया। करमाकर पहली भारतीय जिमनास्ट हैं, जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। वॉल्ट क्वालिफिकेशन में 14.850 अंक के साथ उन्हें 8वां स्थान मिला था, जिसके बाद वह फाइनल के लिए क्वालीफाई कर गयीं थीं। फाइनल में दीपा शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक के काफी करीब पहुँच गयीं थीं। उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 15.066 अंक हासिल किए थे। जो कांस्य पदक विजेता गिउलिया स्तेंग्रुबेर से मात्र 0.25 कम था। इसके बावजूद दीपा को पूरे भारत का समर्थन हासिल रहा। हालाँकि दीपा ने भी अपने फैन्स को 2020 में टोक्यो ओलंपिक में मेडल लाने का भरोसा दिया है। #2 साक्षी मलिक smm-1471863600-800 कई अन्य भारतीय एथलीटों की तरह ही साक्षी मलिक का भी ये पहला ओलंपिक था। जहाँ उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। महिलाओं के 58 किग्रा भारवर्ग में मलिक ने अच्छी शुरुआत की। उन्होंने जोहन्ना मैटसन को 3-1 से हराया। उसके बाद मरिआना चेर्डिवारा-ईसानु को भी इसी अंतर से हराया। क्वार्टरफाइनल में मलिक, ओरखोन पुरेवडोज से 3-1 से हार गयीं। लेकिन कांस्य पदक मुकाबले में उन्होंने ऐसुलू टुब्य्बेकोवा को 3-1 से हराकर भारत के लिए रियो में पदक का खाता खोला। उन्हें रेपचेज के कारण ये मौका मिला था। मलिक के इस प्रयास से 12 दिन से पड़े सूखे को भारत ने खत्म किया और कांस्य पदक से पदकों की शुरुआत हुई। #1 पीवी सिन्धु Indian badminton player and Olympic silver medalist P.V Sindhu takes part in a parade after arriving home from the Rio Olympics in Hyderabad on August 22, 2016. India swelled with pride August 20 after badminton champion P.V. Sindhu became the first woman in the country's history to win an Olympic silver medal. / AFP / NOAH SEELAM (Photo credit should read NOAH SEELAM/AFP/Getty Images) बिना किसी बहस के पीवी सिन्धु रियो में भारत की तरफ से सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली एथलीट रही हैं। सिन्धु को डार्क हॉर्स माना जा रहा था, लेकिन वह चमकते सितारे की तरह उभरीं। वह सबसे कम उम्र में पदक जीतने वाली भारतीय एथलीट बनीं। इसके साथ ही वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारती पांचवीं महिला बनी। सिन्धु का सफर कैसा भी रहा हो लेकिन वह साधारण बनी रही हैं। सिन्धु ने इस दौरान दुनिया के शीर्ष 3 खिलाड़ियों को हराया था। जिसमें विश्व में नम्बर दो रैंक वाली वांग यिहान को उन्होंने क्वार्टरफाइनल में हराया था। हालाँकि वह विश्व की नम्बर एक खिलाड़ी कैरोलिना मरीन से फाइनल में संघर्षपूर्ण मुकाबले में हार गयीं। इसके बावजूद सिन्धु के इस प्रदर्शन को रियो में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना जाएगा। उनके खेल से आने वाले समय में बहुत से खिलाड़ी प्रभावित होंगे।

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