किसी भी एथलीट के लिए अपने पहले ओलंपिक में मेडल जीतना जरुरी नहीं रहा है। किदम्बी श्रीकांत ने रियो में भारत की तरफ से सिंगल्स में बेहतरीन चुनौती पेश की। परुपल्ली कश्यप की गैर मौजूदगी में उनके कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी थी। श्रीकांत ने अपने सफर की शुरुआत लीनो मुनोज़ और हेनरी हर्सकैनन को सीधे सेटों में क्रमशः 21-11, 21-17 और 21-6, 21-8 से हराकर किया था। जहाँ वह अंतिम 16 में पहुँच गये थे। इस भारतीय ने अपने आक्रामक खेल से जन ओ जोर्गेंसन को 21-19, 21-19 से हराकर क्वार्टरफाइनल में जगह बना लिया। जहाँ उनका मुकाबला अभी तक के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी लिन डान से हुआ। श्रीकांत ने आक्रामक खेल जारी रखा हालाँकि वह ये मुकाबला 6-21, 21-11 और 21-17 से हार गये। जिसके बाद उनका ओलंपिक सफर खत्म हो गया। 23 साल के श्रीकांत अपने पूरे ओलंपिक सफर में खासे आक्रामक नजर आये। जिसे देखकर भारतीय पुरुष बैडमिंटन का भविष्य अच्छा लग रहा है।