सियोल ओलंपिक्स 1988 आखिरी ओलंपिक था जिसमें जर्मनी की टीम ने हिस्सा लिया था। उस समय वेस्ट जर्मनी ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था। रियो ओलंपिक्स पहला मौका है जब दोनों देश एकत्र होकर खेलेगी और 28 साल बाद ओलंपिक में हिस्सा लेंगे। इसलिए जर्मनी की ज्यादा उम्मीदें बायर्न लेवरकुसेन के खिलाडी लार्स बेंडर से जुडी होंगी क्योंकि वें सीनियर टीम के सबसे अनुभवी खिलाडी हैं। वें 19 बार जर्मनी के साथ खेल चुके हैं और चार गोल किया है। उसमें से एक गोल उन्होंने UEFA यूरो कप 2012 में भी किया था। बायर्न लेवरकुसेन के कप्तान का ये सीजन चोटिल होने के कारण अच्छा नहीं रहा। लेकिन अब वें चोट से उभर चुके हैं और रियो ओलंपिक्स 2016 में जर्मनी को स्वर्ण पदक तक लेकर जाना चाहते हैं। जर्मनी के ग्रुप में लंदन ओलंपिक्स के स्वर्ण पदक विजेता टीम मेक्सिको और कांस्य पदक विजेता टीम दक्षिण कोरिया है। इसलिए उनकी राह आसान नहीं हैं। जर्मनी की टीम बेंडर के अनुभव का पूरा इस्तेमाल करना चाहेगी। कोच होर्स्ट हरुबेस्च बेंडर पर निर्भर होंगे और अगर बेंडर अपनी पूरी लय में रहे तो वें रियो ओलंपिक्स 2016 को यादगार बना सकते हैं।