रियो ओलंपिक 2016 के आखिरी दिन भी भारत को निराशा ही हाथ लगी और गोल्ड मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद योगेश्वर दत्त भी भारत को मेडल दिलाने में नाकाम रहे और वो पहले ही दौर में हारकर बाहर हो गए। इसके अलावा मैराथन में भारतीय धावकों ने अपना बेस्ट तो किया, लेकिन वो भी टॉप 3 में जगह बनाने से चूक गए। हालांकि गेम्स के अंतिम दिन भारतीय एथलीट्स ने सबका दिल जरूर जीता। निश्चित ही जिस उम्मीद से भारतीय एथलीट्स रियो में गए थे, वो पूरी ना हो सकी और बहुत से एथलीट्स ने काफी हद तक निराश किया, लेकिन कुछ एथलीट्स ने शानदार प्रदर्शन करते हुए, अपने देश का नाम रोशन किया और आने वाले समय में भारत के लिए पदक जरूर लेकर आएंगे। रियो गेम्स तो अब खत्म हो चुके है, अब सबकी नज़रें होंगी साल 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक्स में शानदार प्रदर्शन करकर अपने आलोचकों के मुह बंद करने पर। रैसलिंग रियो गेम्स के अंतिम दिन भारत के लिए गोल्ड मेडल की सबसे बड़ी उम्मीद योगेश्वर दत्त रिंग में उतरे, निश्चित ही उनसे सबको काफी उम्मीदे भी थी, लेकिन वो उम्मीदों के दबाव में आ गए और पहले ही दौर में मंगोलिया के रैसलर से हार गए। उन्हें मनदाखनरन गानज़ोरिग ने 0-3 से हराया और उनके ओलंपिक में लगातार दूसरे साल मेडल जीतने का सपना भी तोड़ दिया। योगेश्वर को रैपचेज़ के जरिए कांस्य पदक जीतने का मौका नहीं मिला, क्योंकि जिस पहलवान ने उन्हें पहले दौर में हराया था, वो फ़ाइनल में पहुँचने में नाकाम रहे और क्वार्टर फ़ाइनल में हारकर वो बाहर हो गए थे। मैराथन भारत ने इस ओलंपिक्स में एथलेटिक्स इवेंट के लिए अपना सबसे बड़ा दल भेजा था और कुछ इवेंट में इस साल मेडल की उम्मीद थी, लेकिन वो उन उम्मीदों को पूरा न कर सके। रियो गेम्स के अंतिम दिन पुरुष मैराथन में तीन भारतीय धावकों ने हिस्सा लिया, जिसमें ठनकल गोपी, खेता राम और नितेन्द्र सिंह शामिल थे। ठनकल गोपी और खेता राम ने अपना पर्सनल बेस्ट दिया और क्रमश: 26वें स्थान पर रहे। वही नितेन्द्र सिंह 84वें स्थान पर रहे। निश्चित ही यह तीनों मेडल न जीत पाए हो, लेकिन इन तीनों न भारत का नाम जरूर रोशन किया। 2016 रियो ओलंपिक्स के समापन समारोह में महिला पहलवान साक्षी मालिक भारत का तिरंगा लहराएंगी।