महाराष्ट्र की प्रार्थना थोम्बारे भारत की ओर से रियो ओलंपिक्स 2016 में हिस्सा लेने जानेवाली हैं। 22 वर्षीय थोम्बारे, विमेंस डबल मुकाबले में अपनी आइडल और प्रेरणाश्रोत सानिया मिर्ज़ा के साथ जोड़ी बनाएंगी और वहां से पदक लेकर लौटने की पूरी उम्मीद करेंगी। इस जोड़ी ने 2014 के एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता हुआ है। प्रार्थना थोम्बारे उभरती हुई खिलाडी है और भविष्य में वे सानिया की जगह लेंगी। ये रही प्रार्थना थोम्बारे के बारे में 5 बातें: #1 प्रार्थना थोम्बारे महाराष्ट्र के छोटे से गांव बरषि से हैं। छोटी सी उम्र में उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया और अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए वें अपने पिता के साथ ट्रैन से सोलापुर आया करती थी। छोटी उम्र में ही सभी को उनकी काबिलियत दिखाई दी। वें अपने स्व बड़ी और खेल में ज्यादा अनुभवी लड़कियों को आसानी से हरा देती थी। इसलिए उनके घरवालों ने उनका नाम नेशनल के लिए आगे किया। "मुझे ट्रेनिंग करने के लिए ज़ोर 70 किलोमीटर की भाग दौड़ करनी पड़ती थी और इससे मेरा शरीर को भरपूर आराम नहीं मिल पा रहा था। इसलिए मेरे पिता ने सोलापुर रहने का निश्चय किया।" #2 प्रार्थना थोम्बारे ने अपने पहले ही प्रयत्न में नेशनल ख़िताब जीत लिया। 10 साल की उम्र में उन्होंने अंडर-14 नेशनल ख़िताब जीता। लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के कारण ही उन्हें U-14, U-16, U-18 और U-21 इवेन्ट्स में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। यहाँ पर उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया। साल 2008 में जूनियर कैटेगिरी के लिए उन्हें एशिया प्लेयर ऑफ़ द ईयर चुना गया। वें फेडरेशन कप में भी खेल चुकी है और वहां पर उनके हार जीत का आंकड़ा है 12-4। #3 पिछले साल वें हैदराबाद में सानिया मिर्ज़ा टेनिस अकादमी से जुड़ गई और वहाँ से उनके करियर ने रफ़्तार पकड़ी। उनकी ट्रेनिंग सानिया मिर्ज़ा के पिता इमरान मिर्ज़ा लेते हैं। उनकी मदद से प्रार्थना थोम्बारे के प्रदर्शन में सुधार आया है। इसी के कारण वें 11 ख़िताब जीतने में सफल हुई। अपने करियर में 17 डबल और 3 सिंगल ख़िताब जीते। "राष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी के बाद वें एक कदम आगे बढ़ गयी। इसलिए मैंने सानिया मिर्ज़ा ट्रेनिंग अकादमी से जुडी।" #4 वे एक कामयाब डबल खिलाडी हैं। वें 15 ITF फाइनल खेल चुकी हैं और उनके नाम 10 ITF ख़िताब है। इस वजह से साल 2014 में उनकी रैंकिंग बढ़कर 325 हुई। अभी डबल्स इवेंट में उनका रैंक 209 है और अपने शानदार खेल से उन्होंने कईयों का ध्यान अपने ओर आकर्षित किया। #5 साल 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में हुए एशियाई खेल में महिला टेनिस डबल इवेंट में प्रार्थना थोम्बारे ने सानिया मिर्जा के साथ जोड़ी बनाई और कांस्य पदक जीता। विश्व की नंबर 1 डबल खिलाडी के साथ जोड़ी बनाकर खेलना प्रार्थना थोम्बारे के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था, क्योंकि इसके पहले उन्होंने सानिया को केवल टीवी पर खेलते हुए देखा था। प्रार्थना थोम्बारे के करियर को आगे बढ़ाने में सानिया का बड़ा योगदान है। उन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया और उनका हौसला बढ़ाया। वहीँ प्रार्थना थोम्बारे भी सानिया के नक़्शे कदम पर आगे बढ़ना चाहती है। "जब मैं सोलापुर में थी, तब हमारे पास टीवी नहीं था। लेकिन सब सानिया मिर्जा को जानते थे और उन्ही के कारण मैंने टेनिस खेलना शुरू किया। फिर मुझे फेडरेशन कप में उनके साथ खेलने का मौका मिला और मेरे लिए ये सपने के सच होने जैसे था। हम दोनों की जोड़ी एशियाई खेल में कामयाब रही थी। मतलब मुझे ट्रेनिंग करने के लिए कहीं बहार जाने की क्या ज़रूरत जब विश्व की नंबर 1 खिलाडी मेरे ही देश की हैं।" लेखक: तेजस, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी