Rio Olympics 2016: पुरुषों के 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल के बारे में सब कुछ जानिए

पुरुषों के 25 मीटर रैपिड फायर इवेंट ओलंपिक खेलों में निशानेबाज़ी के 5 इवेंट में से एक है। यह इवेंट 13 अगस्त 2016 को रियो में पुरुषों के स्कीट फाइनल से पूर्व नेशनल शूटिंग रेंज में होगा। इस इवेंट में गुरप्रीत सिंह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले 2012 लंदन ओलंपिक में भारत को इस इवेंट में विजय कुमार ने रजत पदक दिलाया था। इस बार निशानेबाजी में भारत को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि 12 शूटरों ने रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। गुरप्रीत सिंह एक ऐसे शूटर हैं जो मेडल जीतकर सबको अचंभित कर सकते हैं। गुरप्रीत ने 25 मीटर रैपिड फायर में अंतिम बार साल 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था। गुरप्रीत ने कई बार आईएसएसएफ के इवेंट्स में 12 बार अंतिम 10 में जगह बनाई है। लेकिन वह कभी भी क्वालीफिकेशन राउंड में नहीं पहुंचे हैं। हालांकि, उनके प्रदर्शन में लगातार निरंतरता को देखते हुए उनसे पदक की उम्मीद की जा सकती है। यहां हम आपको इस इवेंट के बारे में विस्तार से बता रहे हैं:

25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल क्या होता है?

25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल आईएसएसएफ के शूटिंग इवेंट का अहम इवेंट है। ये रियो ओलंपिक में भी शामिल है। इस इवेंट में एथलीट को 25 मीटर या 27.34 गज की दूरी से निशाना लगाता होता है। शूटर 5.6 मिमी या 0.22 इंच के कैलिबर की पिस्टल इस्तेमाल कर सकता है। जिसका अधिकतम वजन 1.4 किग्रा होना चाहिए। निशानेबाज़ को लक्ष्य पर 1.4 मीटर की ऊंचाई से निशाना साधना होता है। टारगेट का पूरा आयत 500 मीटर होता है। जिसमें से 100 मीटर पर रिंग होते हैं। नियम 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट में क्वालीफाइंग राउंड में 60 शॉट निशानेबाज़ को मिलते हैं। जिसमें दो स्टेज 30 शॉट के होते हैं, जो 6 सीरीज में बंटे होते और हर सीरीज में 5 शॉट होते हैं। निशानेबाज़ को पहली दो सीरीज 8 सेकंड्स में पूरी करनी होती है, इसके आलावा तीसरी और चौथी सीरीज 6 सेकंड की होती है। वहीं अंतिम दो सीरीज 4 सेकंड में फायर करनी होती है। क्वालिफिकेशन राउंड में हर शॉट के 10 अंक होते हैं, कुल मिलाकर किसी भी निशानेबाज़ को क्वालीफाई करने के लिए अधिकतम अंक 600 चाहिए होते हैं। फाइनल इस इवेंट के फाइनल में 6 निशानेबाज़ भाग लेते हैं। ये निशानेबाज़ 8 सीरीज में 5 शॉट प्रति सीरीज लगाते हैं। इन सभी छह फाइनलिस्ट को दोबारा जीरो से स्कोर बनाने होते हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस इवेंट के फाइनल में स्कोरिंग सिस्टम हिट ऑर मिस के कांसेप्ट में बदल दिया जाता है। इस दौरान अगर स्कोर 9.7 के करीब रहा तो ठीक अन्यता मिस माना जाता है। सीरीज की शुरुआत चार सीरीज में 5 शॉट से होती है। जिन्हे 4 सेकंड में फायर करना होता है। जो जिसके बाद एक और 5 शॉट की चार सीरीज होती है। इन चारों सीरीज के बाद जो निशानेबाज़ सबसे कम अंक पाता है उसे फाइनल से बाहर कर दिया जाता है। उसके बाद स्वर्ण और रजत के लिए 8वें और अंतिम सीरीज तक एथलीट तय हो जाता है। बाकी हर कोई बाहर हो जाता है। हालांकि यदि किसी के बीच टाई हो जाता है, तो उसे टाई ब्रेकिंग से निस्तारित किया जाता है। इस तरह निशानेबाजों का एलिमिनेशन होता है। फाइनल मैच में सभी निशानेबाजों के फाइनल स्कोर देखे जाते हैं। उसके बाद जो सबसे ज्यादा अंक वाला होता है उसे स्वर्ण पदक मिलता है। अगर स्कोर बराबर होता है, तो शूट ऑफ़ से परिणाम निकाला जाता है। इस इवेंट में शामिल भारतीय गुरप्रीत सिंह 2012 लंदन ओलंपिक का परिणाम पुरुष स्वर्ण: लयूरिस पुपो (क्यूबा) रजत पदक: विजय कुमार (भारत) कांस्य पदक: फेंग डिंग (चीन)