पुरुषों का डबल ट्रैप शूटिंग, रियो ओलंपिक्स 2016 का बड़ा ईवेंट होनेवाला है। ओलंपिक्स के पांचवे दिन, 10 अगस्त 2016 को ये खेल पुरुषों के 50 मीटर एयर राइफल शूटिंग के साथ शुरू होगा। ये मुकाबला रियो के नेश्नल शूटिंग सेंटर में आयोजित होगा। डबल ट्रैप शूटिंग के लिए किसी भी भारतीय ने क्वालीफाई नहीं किया है। लेकिन अंतराष्ट्रीय खिलाडी हैं जो इस इवेंट में जीत हासिल कर के अपने देश का गर्व बढ़ाना चाहेंगे। इस ईवेंट में ऑस्ट्रेलिया के जेम्स विलेट नंबर एक खिलाडी के रैंक के रूप में उतरेंगे। इस 20 वर्षीय खिलाडी ने टॉप तक पहुंचने के लिए कमाल की चढाई की है और इस बार स्वर्ण पदक जीतने के प्रबल दावेदार हैं। ऑस्ट्रेलिया के विलेट के साथ दूसरे रैंक वाले अलेस्संद्रो चिनेसे से भी इस ईवेंट में खासी उम्मीदें हैं। तीसरे रैंक वाले माल्टा के विलियम केटकुटी भी यहां पर इतिहास रचने की पूरी कोशिश करेंगे। ये रही इस खेल के बारे में थोड़ी अधिक जानकारी: क्या होता है डबल ट्रैप शूटिंग ईवेंट? पुरुषों का डबल ट्रैप शूटिंग ईवेंट अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन) द्वारा आयोजित होने वाला ईवेंट है। इस ईवेंट में खिलाडी 5 स्टेशन पर नारंगी रंग के क्ले ट्रैप पर शूट करते हैं जो उनके सामने से निकलती है। यहां पर हर खिलाडी एक स्टेशन पर निशाना लगाकर आगे बढ़ते हुए दूसरे स्टेशन पर जाता होता है। नियम: ईवेंट की शुरुआत क्वालिफिकेशन राउंड से होती है। जहां पर हर खिलाडी को 150 टारगेट पर निशाना लगाना पड़ता है। इसे 30-30 टारगेट के पांच भाग में बांटा गया है (डबल ट्रैप में 15 मौके)। यहां पर कुल 6 एथलीट होंगे जो स्टेशन नंबर 1,2,3,4 और 5 पर होंगे। सभी निशानेबाज़ इन पांचो स्टेशन पर निशाना लगाकर बाएं से दाएं ओर जाएंगे। स्टेशन नंबर 1 के पीछे छठे नंबर का खिलाडी होगा जो वो जगह लेगा जब पहला खिलाडी 5 वें स्टेशन से बाहर हो जाएगा। सेमीफाइनल: क्वालिफिकेशन राउंड से टॉप छह खिलाडी सेमीफाइनल में जाएंगे। सभी छह निशानेबाज़ 30 टारगेट (15 डबल शॉट), पांच अलग अलग स्टेशन से लेंगे। ये बिल्कुल क्वालिफिकेशन राउंड की तरह होगा। इस राउंड के नियम क्वालिफिकेशन राउंड की तरह ही होता है और ये तबतक चलता है, जबतक सभी निशानेबाज़ हर स्टेशन से तीन शॉट नहीं ले लेते। फाइनल: इस स्टेज में सेमीफाइनल से केवल दो ही टॉप शूटर आगे बढ़ते हैं और उनके बीच स्वर्ण पदक के लिए मुकाबला होता है। सेमीफाइनल में तीसरे और चौथे स्थान पर आये खिलाडी कांस्य पदक के लिए आपस में भिड़ते हैं। मेडल वाले ये दोनों मैच क्वालिफिकेशन और सेमीफाइनल के नियमों के हिसाब से ही होते हैं। फर्क केवल ये है कि चारों शूटर 30 टारगेट (15 शॉट) स्टेशन नंबर 2,3 और 4 से निशाना लगाएंगे। टाई होनेपर शूट-ऑफ़ का इस्तेमाल किया जाता है। लंदन ओलंपिक्स 2012 विजेता: स्वर्ण: पीटर विल्सन (ग्रेट ब्रिटेन) रजत: हकान डाह्ल्बी (स्वीडन) कांस्य: वासिली मोसिन (रूस) लेखक: देवांश सिंघानिया, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी