रियो ओलंपिक्स 2016 में शिव चौरसिया भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं। अनिर्बन लाहिड़ी के साथ वे इस खेल में हिस्सा लेंगे और उम्मीद है कि वे मेडल जीतने में कामयाब हों। ये रही शिव चौरसिया से जुडी 10 बातें:
- शिव शंकर प्रसाद चौरसिया का जन्म 15 मई 1978 को कोलकाता में हुआ। उनके पिता रॉयल कोलकाता गोल्फ क्लब में ग्रीन्सकीपर के तौर पर काम किया करते थे। शिव चौरसिया को यहीं पर 10 साल की उम्र से गोल्फ के प्रति रूचि बढ़ी। "मैंने थोड़े बहुत टूर्नामेंट अच्छे खेले और दिल्ली में आयोजित पिछले टूर्नामेंट में मेरा 23 वां स्थान आया था और मुझे ₹ 30,000 का चेक मिला था। मेरे माता पिता इतने बड़े राशि को देखकर खुश हो गए और मैंने सोच लिया की मुझे मेरा करियर गोल्फ में बनाना है।"
- अपने छोटे खेल के लिए उन्हें "चित-पूत-सिया" कहा जाता है। साल 1997 में 19 साल की उम्र में वें प्रोफेशनल गोल्फर बन गए। वें आठ भारतीय ख़िताब जीत चुके हैं और दो बार उप-विजेता रहे हैं। "मेरे पास खुद का किट खरीदने के पैसे नहीं थे। मुझे एक भले आदमी नील लॉ ने अपना किट गिफ्ट किया। कुछ सालों तक मैंने टूर्नामेंट्स उनके किट से खेला।"
- 2014 के एशियाई टूर के बाद अपने पासपोर्ट पर उन्होंने अपना उपनाम Chowrasia से Chawrasia किया।
- वें भारत के एक सफल और कामयाब गोल्फर हैं। अपने करियर में उन्होंने $20 मिलियन डॉलर कमाए हैं।
- 2008 यूरोपियन टूर का हिस्सा रहे इंडियन मास्टर्स के दिल्ली गोल्फ क्लब में शिव चौरसिया विजेता रहे। साल 2011 में उन्होंने नई दिल्ली में अवंता मास्टर्स जीतकर अपना दूसरा यूरोपियन टूर जीता।
- प्रोफेशनल गोल्फ खेलने के पहले वें एक चायदान में काम किया करते थे। उन्होंने प्रोफेशनल गोल्फ में अपनी शुरुआत साल 1999 के रॉयल कोलकाता क्लब में अर्जुन अटवाल को चुनौती देकर की। हालाँकि वें इसे जीत नहीं पाएं और इवेंट के उप-विजेता रहे।
- उनकी मौजूदा रैंकिंग 207 है और वें दुनिया भर में कई टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले चुके हैं जैसे 100th ओपन डे फ्रांस, BMW PGA चैंपियनशिप, वॉल्वो चीन ओपन।
- हाल ही में उन्होंने 2016 हीरो इंडियन ओपन जीता। यहाँ पर उन्हें उप-विजेता अनिर्बान लाहिड़ी कोरिया के जेउँगहुँ वांग और ब्राजील के अदीलसन डा सिल्वा से कड़ी चुनौती मिली। इसी ईवेंट के पिछले संस्करण में वें उप-विजेता थे और यहाँ पर जीतने के लिए उन्हें कई बाधाओं को पार करना पड़ा।
- शिव चौरसिया का मानना है कि 2008 में इंडियन मास्टर्स में उनका प्रदर्शन सबसे अच्छा था। नौ अंकों के अंतर से उन्होंने उस इवेंट को जीता और 239,705 यूरो कमाए। ये राशि उनके पिछले एक दशक में कमाए राशि से बहुत ज्यादा है। चारों दिनों में से उनका सब-पार स्कोर सबसे अच्छा था। "मुझे नहीं लगा था की मैं ये टूर्नामेंट जीतूंगा। पता नहीं अब मैं भविष्य में क्या करूँगा। मैं एशिया और यूरोप दोनों जगह खेलूंगा, लेकिन मेरी नज़र US टूर में जगह बनाने की होगी। ये मेरी सबसे बड़ी जीत है। मैं अभी अपनी भावनाएं नहीं बता पा रहा हूँ। एक बार कोलकाता पहुँचने पर ये कम होगा।"
- जीव मिल्खा सिंह और अर्जुन अटवाल के बाद यूरोपियन टूर जीतनेवाले वें तीसरे भारतीय हैं। इससे उनकी रैंकिंग पर भी असर पड़ा और उन्हें 161 का स्थान मिला। एशियाई टूर आर्डर ऑफ़ मेरिट में उन्होंने टॉप किया।
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