भारत के लिए भारोत्तोलन के महिला 48 किग्रा वर्ग में भी रियो ओलंपिक्स का दूसरा दिन निराशाजनक रहा, जहां भारतीय महिला एथलीट मीराबाई चानू ने उम्मीद के उलट प्रदर्शन किया और टॉप-5 से भी बाहर हो गईं। इसी के साथ रियो ओलंपिक्स के दूसरे दिन 5 पदक के मुक़ाबलों में भारत को हर जगह निराशा हाथ लगी। भारत के लिए रियो ओलंपिक्स के दूसरे दिन का आख़िरी मुक़ाबला था भारोत्तोलन के महिला 48 किग्रा वर्ग में, जहां भारत की इकलौती उम्मीद थीं मीराबाई साइखोम चानू। इस मुक़ाबले में 12 एथलीट 3 पदक के लिए ज़ोरआज़माइश कर रहे थे, चानू की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी, जब वह पहली कोशिश में 82 किग्रा का भार उठाने से चूक गईं। लेकिन अगली कोशिश में उन्होंने 82 किग्रा स्नैच करते हुए बेहतरीन वापसी की। हालांकि चानू के करियर बेस्ट स्कोर से ये कम था। अगली कोशिश में चानू ने 84 किग्रा स्नैच उठाने पहुंची, लेकिन वह नाकाम रहीं। भारत के लिए और चानू के लिए अच्छा ये था कि विएतनाम की एथलीट और वर्ल्ड कप में रजत पदक विजेता स्नैच राउंड से आगे नहीं जा पाईं थी। इसके बाद था क्लीन एंड जर्क राउंड, जहां मीराबाई चानू के पास मौक़ा था, एक बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत को रियो ओलंपिक्स में पहला पदक दिलाने का। मीरा बाई का क्लीन एंड जर्क में करियर बेस्ट स्कोर 107 किग्रा रहा है। मीराबाई ने क्लीन एंड जर्क राउंड में पहली कोशिश में 104 किग्रा भार उठाना चाहा, लेकिन वह नाकाम रहीं। दूसरी कोशिश में चानू 106 किग्रा भार उठाने के लिए आईं थी, लेकिन लगातार दूसरी बार वह नाकाम रहीं, अब उनके पास उम्मीदों को ज़िंदा रखने के लिए एक आख़िरी मौक़ा था। लेकिन तीसरी कोशिश भी चानू की नाकाम गई और इसी के साथ रियो ओलंपिक्स का दूसरा दिन भी भारत के लिए निराशाजनक रहा। महिला 48 किग्रा वर्ड के इस इवेंट की स्वर्ण पदक विजेता रहीं थाइलैंड की सोपिता तानासान, जिन्होंने 200 किग्रा भार उठाते हुए सभी को पीछे छोड़ दिया।