वंदना कटारिया भारतीय महिला हॉकी टीम की एक अनुभवी खिलाडी हैं। भारतीय महिला टीन को 36 साल बाद ओलंपिक्स में हिस्सा लेने का मौका मिला है और रियो जानेवाली टीम की सादस्य हैं, वंदना कटारिया। उनका सपना है अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना जिससे टीम को खेल के सबसे बड़े मंच पर कामयाबी मिले। ये रही उनसे जुड़ी 10 बातें:
- वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता BHEL में मास्टर टेक्निशन है और वें हरिद्वार के रोशनाबाद की रहनेवाली हैं।
- साल 2006 में उन्होंने जूनियर टीम की ओर से खेली और उसके चार साल बाद 2010 में सीनियर टीम का हिस्सा बन गयी। 18 साल की उम्र में उन्होंने सीनियर टीम में जगह बनाई।
- साल 2013 में जर्मनी के मोंचेंगलड़बच, में आयोजित जूनियर वर्ल्ड कप में उन्होंने अपनी टीम कांस्य पदक दिलवाया। वो टूर्नामेंट उनके लिए खास रहा क्योंकि चार मैचों में 5 गोल दाग कर वें भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करनेवाली खिलाडी बनी। इसे वें अपने करियर का सबसे यादगार लम्हा मानती है। " मेरा करियर का सबसे अच्छा पल था जब हम जर्मनी में आयोजित वर्ल्ड कप में कांस्य पदक जीते। मेरा पिता की मीडिया से बात करते हुए आँखों में आंसू आ गए थे। इसलिए अपने पिता के गर्व को बढ़ाने से अच्छा और क्या होगा।"
- टीम को जर्मनी में जीत दिलाने के उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित किया गया और दो लाख रुपए की राशि इनाम के रूप में दी गयी।
- केवल 24 साल की होने के बावजूद वें टीम की एक अनुभवी खिलाडी है। कनाडा के ग्लासगो में हुए कामनवेल्थ खेलों में उन्होंने भारतीय टीम के साथ 100 मैचेस पुरे किये।
- हॉक्स बे कप में भारतीय टीम छठी आई थी और वहां पर टीम को वंदना की कमी खली। पूनम रानी ने कहा, "टीम को वंदना की कमी बहुत खली। उनके होने से टीम को तेज़ी मिलती है। हमारा डिफेन्स मजबूत होता है और हम आसानी से विरोधी पर अटैक कर के उन्हें बैकफुट पर धकेल सकते हैं।"
- साल 2014-15 उनके लिए सबसे अच्छा था क्योंकि यहाँ पर FIH वर्ल्ड हॉकी लीग उन्होंने टीम को जीत दिलाई। वें अपने सबसे अच्छे फॉर्म से गुज़र रही थी और 11 गोलों के साथ टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करनेवाली खिलाडी बनी।
- हॉकी के दिग्गज उनका बहुत सम्मान करते हैं और उनके स्वार्थरहित खेल की जमकर सराहना करते हैं। रियो ओलंपिक्स के लिए टीम के कोच रोलेंट ओल्टमैंस भी उन्हें टीम का एक अहम खिलाडी मानते हैं। रोलेंट ओल्टमैंस ने कहा, " मेरे हिसाब से वंदना टॉप फॉरवर्ड में से एक हैं। वें काफी तेज़ हैं, गोल कर सकती है और ज़रूरत पड़ने पर डिफेन्स भी कर सकती है। अपने आप में वें हमेशा सुधार लाती हैं।"
- 36 साल बाद महिला हॉकी टीम ने रियो ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया और इसके पीछे वंदना का बड़ा योगदान था। 2015 में ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई करने पर पूरे टीम को सम्मानित किया गया था और वंदना कक 1 लाख रुपए मिले थे। "हमारा मनोबल ऊंचा है। एंटवर्प में हमारा प्रदर्शन से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है और हम रियो में कई टीमों को हराएंगे।"
- वंदना महिलाओं के लीग, जैसे हॉकी इंडिया लीग की सबसे बड़ी समर्थक हैं। उनके अनुसार इस तरह के लीग को बढ़ावा मिलना चाहिए जिससे महिलाओं को अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिले। इससे कई महिला आगे जाकर राष्ट्रीय टीम में भी जगह बना सकती हैं।
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