दो बार ओलंपिक में पदक जीत चुके सुशील कुमार इस बार खेल महाकुंभ का लुत्फ जेल से उठाएंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुशील पर सागर धांकड़ के हत्या का मुकादमा दर्ज है। इससे पहले पहलवान ने शरीर का विशेष ध्यान देने के लिए स्पेशल डाइट की सिफारिश की थी, जिसे दिल्ली जेल संघ ने सरे से नकार दिया था। कुदरत का करिश्मा देख लीजिये या विधाता का विधान जो-जो यहां-यहां जो-जो करता हैं उसे यहीं पर अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। ये वहीं सुशील कुमार हैं जिन पर नरसिंह यादव को डोपिंग के जंजाल में फंसाने के आरोप लगा था ।
ये वही पहलवान हैं जिनपर मैच जीतने के लिए खिलाड़ियों को पीटने का आरोप लगा था। ये वही सुशील हैं जिसके डर से पहलवान अखाड़ा तक छोड़ देते थे। गुरू सतपाल के दामाद की कभी ऐसी हालात होगी ये किसी ने नहीं सोचा था। 38 वर्षीय सुशील अपने छोटे से करियर में ओलंपिक के हीरो से लेकर जेल के हीरो तक बन गए।
ये वो सुशील हैं जिसे लोग प्ररेणा का श्रोत मानते थे। आज लोग इनका नाम पर भी जबान पर लेने से कतराते है। गलती दरअसल इंसान से ये होते है कि वो अपने आप को भगवान समझ लेता है। इन महानुभाव के साथ भी कुछ ऐसा हुआ । जिसने भी विधाता बनने की कोशिश की है उसका अंजाम यही हुआ है। अगर हम जो हैं वहीं रहेंगे तो उससे हमारा बहुत कम हो सकता है । बचपन में स्कूल जाते समय एक दीवार पर लिखा होता था कि सावधान हटी,दुर्घटना घटी।
सुशील भी चकाचौंध में इतने मदहोश थे कि उन्होंने अपना गुलिस्ता खुद ही उखाड़ डाला। बहरहाल ओलंपिक में भारत की अब तक की शुरूआत कुछ खास नहीं रही । मीराबाई चानू को छोड़ कोई मेडल के पास तक नहीं पहुंच पाया। सुशील अभी जेल में बैठे अपने साथी अपराधियों को दांव सीखा रहे होंगे।
स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जेल से ही उन्हें कमेंट्री करने का मौका मिलेगा। उनके सपना में ये था कि वो किसी टीवी चैनल में बैठकर अपना एक्सपर्ट व्यू दर्शकों के सामने रखेंगे। हो सकता है कि आने वाले ओलंपिक में वो बाहर किसी टीवी चैनल पर अपनी राय जरूर बांटेंगे लेकिन फिलहाल उनकी कमेंट्री का लुत्फ जेलर और उनके साथी कैदी उठाएंगे। वैसे कुश्ती में बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट से लोगों को सबसे ज्यादा मेडल की उम्मीदें हैं।