टोक्यो ओलंपिक में जापान की स्केटबोर्डर कोकोना हिराकी ने पार्क इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। ओलंपिक के पिछले 85 साल में पदक जीतने वाली वो सबसे छोटी उम्र की एथलीट हैं। इसी ओलंपिक खेलों में जापान की मोमोजी निशिया ने 13 साल की उम्र में स्केटबोर्डिंग के अन्य इवेंट में गोल्ड जीतकर जापान की सबसे कम उम्र की और दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की गोल्ड मेडलिस्ट होने का रिकॉर्ड कायम किया था।
स्केटबोर्डिंग के महिलाओं के पार्क इवेंट में हिराकी अपनी हमवतन सकूरा योजोजूमी से पीछे रह गईं। 19 साल की योजोजूमी को गोल्ड मेडल मिला, तो 13 साल की ब्रिटेन की स्काई ब्राउन कांस्य पदक ले गईं। हिराकी जापान के ओलंपिक इतिहास में पदक जीतने वाली सबसे छोटी उम्र की खिलाड़ी बन गई हैं।
10 साल के डिमित्रियोस सबसे छोटे पदक विजेता
वैसे 12 साल की उम्र में पदक जीतने वाली हिराकी दुनिया की सबसे छोटी पदक विजेता नहीं हैं। पहले ओलंपिक खेलों में साल 1986 में ग्रीस के 10 साल के डिमित्रियोस लुंड्रास ने टीम जिमनास्टिक्स में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था और सबसे छोटे ओलंपिक पदक विजेता बने।
नया खेल है स्केडबोर्डिंग
टोक्यो ओलंपिक के माध्यम से ग्रीष्मकालीन खेलों में पहली बार स्केटबोर्डिंग का आयोजन हो रहा है। इस खेल में शरीर की फुर्ती, तेजी, चाहिए होती है, जो छोटे बच्चों में बड़ों से ज्यादा होती है। इसे ओलंपिक में जोड़ा भी इसी उद्देश्य से गया था कि एक छोटी उम्र से ही दुनियाभर के बच्चे इस खेल के माध्यम से खेलों के महाकुंभ को जानें और समझें। वैसे खास बात ये है कि स्केडबोर्डिंग की शुरुआत बच्चों और युवाओं ने ही अमेरिका में की जहां खाली स्विमिंग पूर को रिंग बनाकर उसमें स्केटबोर्ड को ले जाकर कलाबाजियां करते थे। मेजबान जापान ने अभी तक स्केटबोर्डिंग के खेल को पूरी तरह अपने पक्ष में रखा है और अभी तक कुल दिए गए 4 गोल्ड में से 3 गोल्ड जापान के स्केटबोर्डर्स के नाम आए हैं।