Tokyo Olympic 2020 - अविनाश साबले को फाइनल में जगह ना बनाने का मलाल है 

अविनाश साबले
अविनाश साबले

टोक्यो ओलिंपिक में इंडिया के एथलेटिक्स अभियान की शुरुआत बेहद निराशाजनक रही। अविनाश साबले ओलिंपिक में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम करने में सफ़ल रहे, लेकिन अफ़सोस फाइनल में जगह बनाने से चूक गये। भारतीय एथलिट अविनाश साबले का टोक्यो ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेस स्पर्धा में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया, लेकिन मेडल ना जीतने का उन्हें काफी मलाल है। पत्रकारों से बात करते हुए रिकॅार्ड बनाने से ज्यादा इस बात का दुख है कि वो अपने देश के लिए ओलंपिक जैसे प्रतियोगिता में पदक नहीं जीत पाए।

दूसरी हीट में साबले ने 8:18.12 समय निकाल कर मार्च फ़ेडरेशन कप में अपना बनाया 8: 20.20 का रिकॉर्ड तोड़ डाला। साबले दूसरी हीट में सातवें नबंर पर थे। आपको बताते चलें कि हीट से शीर्ष तीन और सारी हीट से उसके बाद के शीर्ष 6 ही फ़ाइनल तक पहुंच पाते हैं। इसे साबले की बदक़िस्मती कहें या कुछ और, तीसरी हीट के शीर्ष तीन प्लेयर्स उनसे बेहद धीमा दौड़े थे। इसलिये वो क्वालीफाइंग हीट में शीर्ष 7 और कुल 13वें स्थान पर रहे।

इससे पहले धावक अविनाश मुकुंद साबले पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज फ़ाइनल के लिये क्वालीफाई करने में नाकामयाब रहे थे। धावक अविनाश मुकुंद साबले के साथ-साथ एमपी जबीर ने भी बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया। 36 प्रतियोगियों में से एमपी जबीर कुल 33वें स्थान पर कब्ज़ा जमा पाये। वो 50.77 सेकंड में वो हीट नबंर 5 में 7वें और अंतिम स्थान पर रहे, जो कि भारतीयों के लिये काफ़ी दुखद था। आपको बता दें कि पांच हीट में पहले 4 और अगले 4 बेस्ट खिलाड़ी ही सेमीफ़ाइन में पहुंचते हैं।

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सिर्फ़ अविनाश साबले ही नहीं स्प्रिंटर दुती चंद भी टोक्यो ओलिंपिक में महिलाओं की 100 मीटर प्रतियोगिता में सेमीफ़ाइनल तक नहीं पहुंच पाई। अगर बात की जाये मिक्सड 4x400 मीटर रिले टीम की, तो वो 8वें स्थान और सेकेंड हीट रेस में अंतिम पायदान पर रहीं।

जीत अविनाश साबले के लिये महत्वपूर्ण क्यों थीं?

दरअसल, अविनाश साबले एक किसान के बेटे हैं और महाराष्ट्र के बीड़ के रहने वाले हैं। किसान परिवार से होते हुए उन्होंने ओलंपिक तक पहुंचने के लिये जी-तोड़ मेहनत की। उन्होंने पहली दफ़ा ओलंपिक में हिस्सा लिया था। जीत उनके करियर के लिये काफ़ी महत्वपूर्ण थी। साबले को उम्मीद थी कि वो एक मेडल ज़रूर हासिल करके रहेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

इससे पहले साबले पिछले साल सुर्खियों में छाये रहे थे। पिछले साल उन्होंने दिल्ली में आयजित हुई हाफ़ मैराथन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ कर ख़ूब वाहवाही लूटी थी। जिन्हें नहीं पता है उन्हें बता दें कि ये रेस साबले ने लगभग एक मिनट 30 सेकेंड में पूरी की थी।

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