टोकियो ओलंपिक में देश के लिये रजत पदक जीतने वाली मीराबाई चानू ने देशवासियों की झोली ख़ुशियों से भर दी हैं। मणिपुर के एक छोटे से गांव से आने वाली मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में पदक हासिल किया। मीराबाई चानू की जीत इसलिये भी मायने रखती है, क्योंकि उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिये काफ़ी संघर्ष किया है।
ओलंपिक जीतना मीराबाई का सपना था। पर उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वो ट्रेनिंग सेंटर तक पहुंचने के लिये किराया जुटा पायें। इसलिये वो ट्रक ड्राइवर्स से लिफ़्ट लेकर ट्रेनिंग सेंटर तक पहुंचती थी। इसके बाद ट्रेनिंग पूरी करती थीं। कल तक जिस मीराबाई चानू को कोई नहीं जानता था, आज हर कोई उनके संघर्ष की कहानियां पढ़ रहा है।
मीराबाई चानू की लोकप्रियता का आलम ये है कि जल्द ही उनके फ़ैंस को उनकी बायोपिक देखने को मिलेगी। बीते शनिवार मणिपुर स्थित कंपनी सेउती फिल्म्स ने उन पर बायोपिक बनाने का ऐलान किया है। फिल्म एक गांव में मीराबाई के बचपन और उनके जीवन को प्रदर्शित करेगी। भारोत्तोलन में उनका परिचय और प्रशिक्षण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी और अंत में टोक्यो ओलंपिक में उनकी जीत भी दिखाई जायेगी।
मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में कुल 202 किलोग्राम भारोत्तोलन के साथ महिलाओं की 49 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में देश का पहला रजत पदक जीता था। ख़बर की पुष्टि करते हुए सेउती फिल्म्स प्रोडक्शन कंपनी के चेयरमैन मनाबी एमएम ने कहा, "हम मीराबाई चानू के जीवन और उनके जीवन की कई अन्य घटनाओं पर आधारित एक फीचर फिल्म बना रहे हैं।"
सेउती फिल्म्स ने स्टार वेटलिफ्टर और उनके परिवार के साथ फिल्म बनाने के लिए मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले में उनके नोंगपोक काकचिंग गांव में एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं। फिल्म की पटकथा और संवाद मनोबी एमएम द्वारा लिखा जाएगा और इसे ओसी मीरा द्वारा निर्देशित किया जाएगा। आरके नलिनी देवी द्वारा इसे निर्मित किया जाएगा।
प्रस्तावित फिल्म में मीराबाई के बचपन और गांव में उनके जीवन को दिखाया जाएगा; भारोत्तोलन में उनका परिचय और प्रशिक्षण; राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी और अंत में टोक्यो ओलंपिक में उनकी जीत।