टोक्यो ओलंपिक में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाले जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा लगातार सुर्खियों में छाए हुए हैं। 121 साल बाद एथलेटिक्स में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिला कर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया है। इसी के साथ टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत ने सबसे ज़्यादा पदक जीत कर इतिहास भी रच दिया है।
नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो (Javelin Throw) में 87.58 मीटर की दूरी तक जैवलिन फेंका और भारत की झोली ख़ुशियों से भर दी। कमाल की बात ये है कि नीरज चोपड़ा ने अपने पहले ही ओलंपिक में ऐसा ख़तरनाक कारनामा दिखा डाला, जिसके बाद भारत के खाते में कुल सात मेडल आ गये। इसमें कोई दो राय नहीं कि ओलंपिक इतिहास में इस बार भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है।
किसी ने नहीं सोचा था कि जो बच्चा 11 साल की उम्र में मोटापे से जूझ रहा था। वो ही बच्चा 23 साल की उम्र में भारत के सुनहरे सपने को साकार कर इतिहास रचेगा। कई लोग कह रहे हैं कि नीरज के मजबूत कंधों और बाजुओं ने उन्हें ओलंपिक में मेडल दिया। पर ये पूरा सच नहीं है। किसी भी एथलीट के लिये चुस्त-दुरुस्त बॉडी ही सब कुछ नहीं होती।
2018 में पहले नीरज की कोहनी में कोहनी में चोट आई, जिससे बाहर आने में उन्हें काफ़ी समय लगा। हालाँकि, दर्द में रहने के बावजूद खिलाड़ी ने अपनी बाजुओं को बिल्कुल कमज़ोर नहीं पड़ने दिया। जानकारी के मुताबिक, कंधों और बाजुओं को मजबूती देने के लिए नीरज चोपड़ा ने नॉनवेज खाना शुरू किया। वो भी तब जब वो शाकाहारी थे। जैवलिन थ्रो से पहले वो क्रिकेट प्रेमी थे और क्रिकेट उनका पसंदीदा खेल था। सोचिये अगर वो भारतीय क्रिकेट का हिस्सा होते, तो आज हमें गोल्ड नहीं मिलता।
यही नहीं, अगर वो क्रिकेट में होते, तो निश्चित तौर पर एक गेंदबाज़ होते। अगर ऐसा होता, तो यकीन मानिये वो अपनी मजबूत बाजुओं से दुनियाभर के बल्लेबाजों के स्टंप्स उखाड़कर दूर फ़ेंक देते। इंटरनेशनल क्रिकेट में पाकिस्तान के गेंदबाज शोएब अख्तर का नाम सबसे तेज़ गेंदबाज़ों में शुमार है। यही नहीं, उन्होंने कई बार 'क्रिकेट का भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की गिल्लियां भी गिराई हैं।
शोएब ने क्रिकेट करियर में सबसे तेज गेंद 100.2 मील/घंटा की रफ्तार से फेंकी थी। इसी की बदौलत वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे तेज गेंदबाजी करने का रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। अगर इसी तरह नीरज चोपड़ा गेंदबाज़ी करते, तो निश्चित तौर पर वो एक सफल गेंदबाज़ बनते।