Tokyo Olympics - कांस्य पदक जीतकर लोवलिना पूर्वोत्तर की बेटियों के लिए मिसाल बन गई

लोवलिना
लोवलिना

कभी-कभी जीतने वाले से ज़्यादा हारने वाले के चर्चे होते हैं। कुछ ऐसा ही लोवलिना बोरगोहेन के साथ भी हो रहा है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में लोवलिना बोरगोहेन, तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली के साथ हुए मुकाबले में हार गईं। 69 किग्रा महिला मुक्केबाजी सेमीफाइनल में लोवलिना बोरगोहेन विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हार गईं। हांलाकि, लोवलिना बोरगोहेन पहले ही कांस्य पदक हासिल कर चुकी थीं।

लोवलिना भले ही फ़ाइनल तक नहीं पहुंच पाई, लेकिन हार के बावजूद वो सुर्खियों में बनी हुई हैं। हर कोई उनके संघर्ष और सफ़लता की कहानी गढ़ रहा है। ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीतने वाली लोवलिना ने पूर्वोत्तर की लड़कियों में उम्मीद की एक मिसाल जला दी है। हार के बावजूद वो पूर्वोत्तर की बेटियों के लिये नई आस जगाने में कामयाब रहीं।

आज हर कोई असम और लोवलिना की तारीफ़ करते नहीं थक रहा है। ये वही लोग हैं जिन्हें अब तक देशी की इस बेटी के बारे में कोई जानकारी तक नहीं थी। यही नहीं, आज से करीब एक हफ़्ते पहले तक असम के गोलाघाट जिले के बरोमुखिया गांव में आने-जाने में कोई कनेक्टिविटी तक नहीं थी। मिट्टी और पत्थर से मिल कर बना ट्रैक गांव को बाहरी दुनिया से जोड़ता है।

ये लोवलिना बोरगोहेन ही हैं, जिनकी वजह से आज दुनियाभर में असम के इस छोटे से गांव की चर्चा हो रही है। लोवलिना का गांव बरोमुखिया दिसपुर से लगभग 320 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसका विकास सिर्फ़ राजनीतिक नेताओं के बड़े-बड़े आश्वासन तक ही सीमित रह गया है। हांलाकि, लोवलिना बोरगोहेन की वजह से अब चीज़ें बदल रही हैं। उधर टोक्यो ओलंपिक में लोवलिना अपने बेमिसाल खेल से लोगों का दिल जीत रहीं थीं। वहीं इधर चंद ही घंटों में गांव को कंक्रीट की सड़क से जोड़ दिया गया।

असम की 23 वर्षीय लोवलिना ने Muay Thai का अभ्यास कर अपने करियर की बेहतरीन शुरुआत की थी। आपको बताते चलें कि ओलंपिक में 12वें दिन हुए मुकाबले में लोवलिना विश्व चैंपियन तुर्की की बुसेनाज़ सुरमेनेली के खिलाफ 69 किग्रा महिला मुक्केबाजी सेमीफाइनल राउंड हार कर बाहर हो गईं थीं। वो फ़ाइनल तो नहीं जीत पाईं, लेकिन हां वो पोडियम फिनिश सुनिश्चित करने वाली केवल तीसरी भारतीय मुक्केबाज बन गईं। ये खिताब उन्होंने विजेंदर सिंह (2008) और एमसी मैरी कॉम (2012) के बाद हासिल किया है।

लोवलिना ने जितने संघर्षों के बाद ये मुकाम हासिल किया है, वो वाकई कई सारे लोगों के लिये प्रेरणा है। लोवलिना ने बता दिया कि खेल में जीत-हार नहीं, बल्कि खेलने का तरीका मायने रखता है।

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Edited by निशांत द्रविड़
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