टोक्यो ओलिंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन की छाप छोड़ने वाले तीरंदाज प्रवीण जाधव की घर वापसी हो चुकी है। प्रवीण जाधव ने ओलंपिक खेलों को जी-जान लगा कर खेला और उसमें जान डाल दी। हांलाकि, भारत लौटते ही जहां उनका स्वागत किया जाना चाहिये, वहीं वो पारिवारिक विवादों में फंस कर रहे गये हैं।
ओलंपिक प्लेयर के माता-पिता का कहना है कि उनकी ही ज़मीन पर उनके पड़ोसी मकान नहीं बनने दे रहे हैं। अगर मकान नहीं बन पाया, तो उन्हें गांव छोड़ कर जाना होगा। जानकारी के अनुसार, प्रवीण जाधव महाराष्ट्र के सातारा ज़िले के निवासी हैं। पूरा परिवार साराडे गांव में दो कमरे के मकान में रहता है। प्रवीण के पिता रमेश जाधव का कहना है कि दो कमरों के घर में गुजर बसर करना मुश्किल है। इसलिये वो और कमरे बनवाना चाहते हैं। लेकिन पड़ोसी ऐसा नहीं होने दे रहे हैं।
अगर रहने के लिये कमरे नहीं बन पाये, तो खिलाड़ी का परिवार गांव रहने के लिये चला जायेगा। ओलंपिक खेल कर देश लौटे जाधव ने इस बारे में मीडिया से बातचीत भी की है। वो कहते हैं कि मेरे माता-पिता राज्य कृषि कॉर्पोरेशन (महामंडल) के लिये मजदूरी करते थे। ये जमीन रहने के लिये हमें शेती महामंडल द्वारा मिली थी। वहीं जब हमारी माली हालत सुधरी, तो हमने मकान बनाना शुरू किया।
न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य कृषि कॉर्पोरेशन ने मौखिक समझौता करके हमें ये जमीन दी थी। उस दौरान कोई पट्टा नहीं दिया था। वहीं जब प्रणीण जाधव सेना में नौकरी करने लगे, तो उनके घर की हालत सुधरी। पैसे आने पर दो कमरों का घर बना लिया गया। अजीब बात ये है कि उस समय किसी ने भी किसी तरह का ऐतराज नहीं जताया। वहीं अब जब बड़ा घर बनाने की तैयारी शुरु हो रही है, तो पड़ोसी को दिक्कत हो रही है।
जाधव ने दावा किया है कि पूरी ज़मीन पर उनका अधिकार है। इसके साथ ही वो पड़ोसी की जमीन तक सड़क के लिए पर्याप्त जगह छोड़ने के लिए रेडी हैं। उन्होंने ये भी बताया कि अगर निर्माणकार्य नहीं हुआ, तो उनका 1.40 लाख रुपये का ख़रीदा हुआ सामान 40 हज़ार रुपये में बेचना पड़ेगा। खिलाड़ी ने बताया कि जब उन लोगों ने टॉयलेट बनाने का फ़ैसला किया था, तब भी पड़ोसियों ने पुलिस में शिकायत की धमकी दी थी।
मामले को सब डिविजनल ऑफ़िसर शिवाजी जगताप का बयान भी सामने आया है। मामले में पड़ोसियों और जाधव के परिवार से बातचीत जारी है। मुमकिन है कि जल्द ही इसका हल निकल आयेगा।