टोक्यो ओलंपिक में अमेरिका ने फ्रांस को बास्केटबॅाल प्रतियागिता में 87-82 के अंतर से हराकर लगातार चौथी और कुल मिलाकर 16वीं बार स्वर्ण पदक पर कब्जा किया है। हालांकि स्पेन और अमेरिका के बीच हर बार ओलंपिक फाइनल होता है, लेकिन इस बार प्रतिद्वदी फ्रांस था। अमेरिका, फ्रांस, स्पेन और अर्जेंटीना शीर्ष 4 टीम में हैं विश्व बास्केटबॅाल में। केविन डुरांट की अगुवाई में टीम ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद सभी को थी। हालांकि इस टीम में डुरांट, ड्रेमंड ग्रीन और जेसन टैटम को छोड़ दिए जाए तो कोई नामचीन खिलाड़ी मौजूद नहीं थे । बावजूद इस टीम ने वो कर दिखाया जिसके वो असल में हकदार थे।
अमेरिका के केविन डुरांट के लिए ये साल काफी अच्छा गुजरा है। खबरों के मुताबिक डुरांट ने नेट्स के साथ 198 मिलियन डॅालर की एक्सटेंशन डील साइन की है। वहीं अमेरिकन महिला बास्केटबॅाल टीम भी सर्बिया को रौंदकर सातवें बार ओलंपिक फाइनल में जगह बना पाने में कामयाब हुई है। साथ ही ये टीम सांतवी बार ओलंपिक स्वर्ण जीतने की प्रबल दावेदार भी मानी जा रही है।
कई सालों से पुरूषों अमेरिका और स्पेन की प्रतिद्वंदी लोगों को देखने को मिलती थी। लेकिन इस बार अमेरिका ने स्पेन को सेमीफाइनल में 14 अंकों के अंतर से हरा दिया । इस प्रतियोगिता से पहले लेब्रोन जेम्स और कार्मेलो एंथनी जैसे खिलाड़ियों के खेलने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन विश्व भर में कोविड महमारी के चलते इन खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता में खेलने से मना कर दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बास्केटबॅाल का अविष्कार अमेरिकी जेम्थ नैस्मीथ नाम के खिलाड़ी ने की थी।
विश्व भर में लोकप्रिय बास्केटबॅाल लीग एनबीए भी अमेरिका में ही खेली जाती है। अमेरिकी बास्केटबॅाल इतिहास 100 साल से भी पुराना है। इस खेल के इस देश में लोकप्रिय होने के वजह से कई देश के खिलाड़ी यहां की नागरिकता लेकर यहां पर अपना बेहतर भविष्य बनाते हैं। कोबे ब्रायंट का जन्म इटली में हुआ था। माइकल जार्डेंन,बिल रसेल और लेब्रोन जेम्स जैसे खिलाड़ी अफरीकी देशों से आकर यूनाइटेड स्टेटस आफ अमेरिका की नागरिकता ले ली। हालांकि कई अमेरिकी खिलाड़ी एनबीए और अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॅाल में अंतर नहीं समझ पाते। उन्हें लगता है एनबीए के आगे कोई दुनिया नहीं है, जिसकी वजह से अमेरिका कई बार अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता हार चुका है । स्पेन, फ्रांस और अर्जेंटीना आने वाले दिन में बास्केटबॅाल के पावरहाउस बनने वाले हैं। कई बार इन टीमों ने अमेरिका को हराया है। ऐसे में विश्व रैंकिंग में नंबर-1 पर काबिज देश को अपना रवैया बदलना होगा।