भारत के बारे में बात करें तो से इस देश में कई देश छिपे हुए हैं। महानगरों का रूख करेंगे तो वहां पर सुख सुविधा की सारी चीजें मुहैया है। वहीं दूसरी और एक ऐसा भारत है जो आज भी बुनियादी सुविधा जैसे बिजली, पानी के लिए जूझ रहा है। आज ऐसा ही एक गांव से रूबरू कराएंगे जो आज भी अपने रोजमर्रा की जिंदगी में लगनी वाली चीजों के लिए झूलस रहा है। हरियाणा के सोनीपत जिले की नहरी गांव की जहां की आबादी लगभग 15,000 लोगों की है। यहीं के एक पहलवान रवि दहिया ने 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। रवि का पूरा भरोसा है कि वो इस प्रतियोगिता में मेडल जीतेंगे। उनका निशाना ब्रांज या सिल्वर नहीं बल्कि गोल्ड पर है।
रवि से पहले 1984 लॅास एंजिल्स ओलंपिक में महावीर सिंह औऱ 2012 में अमित दहिया ने क्वालीफाई किया था। महावीर सिंह के 2 बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर उस समय की मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल सिंह ने जब महावीर जी से पूछा आपको क्या चाहिए, उस समय उनका जवाब था कि जानवरों के लिए एक अस्पताल और उस समय उनकी वो ख्वाहिश पूरी की गई थी। इसी प्रकार वहां के लोगों को उम्मीद है कि अगर रवि ओलंपिक में पदक जीत जाते हैं तो उनके गांव में 24 घंटे बिजली की सप्लाई मुहैया करायी जा सकती है।
ये ऐसा ही कुछ है जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर मिल्खा सिंह पाकिस्तान गए थे। जब वहां से मेडल जीतकर आए तो नेहरू जी ने पूछा की आपको उपहार के रूप में क्या चाहिए ? उस समय उनका कहना था कि पूरे देश में एक दिन की छुट्टी कर दी जाए। एक खिलाड़ी अपने पूरे जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ समाज में थोड़ी इज्जत औऱ दो वक्त की रोजी रोटी चाहता है। एक खिलाड़ी के संघर्षपूर्ण जीवन से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। ये हम पर निर्भर करता है कि हम क्या सीखना चाहते हैं?
रवि के पिता श्री राकेश दहिया के बारे में बात करें तो वो 60 किलोमीटर रोजाना सफर करके अपने बेटे के लिए शुद्ध दूध और मक्खन अपने बेटे के लिए रोज पहुंचाते हैं। बहरहाल अब देखना ये दिलचस्प होगा कि क्या रवि मेडल जीतते हैं और क्या उनके पदक जीतने से गांव में उनकी बिजली आती है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल कुश्ती में पदक के बारे में बात करें तो विनेश और बजरंग पूनिया से सभी को मेडल की ज्यादा उम्मीद है और ऐसे में अगर रवि मेडल जीत जाते हैं तो सोने पर सुहागा हो जाएगा।