Tokyo Olympics - पूर्व निशानेबाज जयदीप कर्माकर का बयान, कोचों को है आत्मनिरीक्षण की जरूरत

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रहे हैं। पर इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि ओलंपिक में भारतीय शूटर्स का प्रदर्शन काफ़ी निराशाजनक रहा। टोक्यो ओलंपिक 2020 वैसे नहीं गया, जिसकी अपेक्षा की गई थी।

टोक्यो ओलंपिक में भारत की सबसे बड़ी स्वर्ण पदक की उम्मीदों में से एक मनु भाकर और सौरभ चौधरी की मिश्रित टीम जोड़ी दुर्भाग्य से क्वालिफिकेशन राउंड में बाहर हो गई थी। 19 साल के खिलाड़ियों ने एक साथ पांच विश्व कप स्वर्ण जीते हैं और ये जोड़ी पिछले कुछ वर्षों से इस स्पर्धा में अपने दबदबा बनाये हुए है।

इसके साथ ही अभिषेक वर्मा और यशस्विनी सिंह देसवाल, दिव्यांश सिंह पंवार और इलावेनिल वलारिवन एवं दीपक कुमार और अंजुम मौदगिल की 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम भी स्पर्धा से बाहर हो गई। इसके परिणामस्वरूप एनआरएआई प्रमुख रणिंदर सिंह को कोचिंग स्टाफ के ओवरहॉल की घोषणा करने के लिए प्रेरित किया और पूर्व निशानेबाजों को भी बेहद निराश किया।

इस बारे में पूर्व निशानेबाज जयदीप कर्माकर से भी बात की गई। जयदीप कर्माकर जो 2012 के लंदन ओलंपिक में ओलंपिक फाइनलिस्ट थे और कांस्य से चूक गए थे। जयदीप कहते हैं कि उन्हें मिश्रित टीम स्पर्धा में निशानेबाजों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तीन जोड़े/टीम पदक के दौर में आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि ये एक बड़ा झटका है, लेकिन मैं अभी भी हिम्मत नहीं हारूंगा। मैं कहूंगा कि उनकी तैयारी में कुछ समस्याएं हो सकती हैं। वे अच्छे थे और इसमें कोई संदेह नहीं है। व्यक्तिगत स्पर्धाएं कठिन थीं और उम्मीदें (पदक के लिए) उतनी नहीं थीं, लेकिन मिश्रित स्पर्धाओं के लिए कम से कम पिस्टल के लिए, हमें पदक की उम्मीद थी। पूर्व निशानेबाज का मानना है कि ओलंपिक में जाने वाली पिस्टल टीम से काफी उम्मीदें थीं। कर्माकर को यह अजीब लगा कि एयर राइफल टीम के चयन के लिए दरवाजे 2020 में एक साल पहले बंद कर दिए गए थे।

वो कहते हैं कि महामारी के कारण ऐसी अजीब स्थिति में उद्देश्य को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए नियमों में बदलाव किया जा सकता था। हर निशानेबाज ने अपने प्रदर्शन के दम पर टोक्यो के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन वो 2019 और 2018 में के दौरान की बात है। उनके मौजूदा फॉर्म पर ज्यादा जोर देना चाहिए था। इसके साथ ही उन्होंने कोचों को आत्मनिरीक्षण करने की बात भी कही।

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Edited by निशांत द्रविड़