2012 लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता निशानेबाज गगन नारंग भारतीय निशानेबाज़ों से बेहद निराश हैं। गगन नारंग ने मौजूदा ओलंपिक में निशानेबाजी में जीत हासिल नहीं कर पाने पर निराशा जताई है। इसके साथ ही वो ये भी सोच रहे हैं कि इतनी आलोचना सुनने के बाद क्या करना चाहिये। नारंग कहते हैं कि टोक्यो ओलंपिक में हम कोई पदक क्यों नहीं जीत पा रहे हैं या फिर कुछ ऐसा जो हमारे समझ नहीं आ रहा है। नारंग कहते हैं कि इसकी कई वजहें हो सकती हैं।
नारंग का मानना है कि कहने को एथलीटों के बारे में बहुत कुछ बोला जा सकता है। पर हमें ये समझने की कोशिश करनी चाहिये कि अभी वो बहुत छोटे हैं। इसके अलावा वो जितना कर सकते थे किया ही। साथ ही नारंग ने ये भी बताया कि कोच उनके साथ क्रोएशिया भेजे गये थे। पीछे सारा सिस्टम था। प्रशासनिक हिस्से से हम सही रास्ते पर थे।
गगन नारंग का कहना कि ओलंपिक में पदक हासिल करने के लिये सिर्फ़ प्रतिभा ही नहीं, बल्कि क़िस्मत की भी ज़रूरत होती है। वो कहते हैं कि हमारे समय में हम शुरुआती दिनों में फ़ाइनल में जगह बनाने की सोचते थे। इसके लिये हम अगले मुक़ाबले के बारे में सोचते थे। वो कहते हैं कि ओलंपिक भेजी गई भारतीय टीम मजबूत टीम है और उन्हें निशानेबाजों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।
गगन नारंग भारत के उम्दा निशानेबाजों में से एक हैं और अब वो मेंटोर बन चुके हैं। पूर्व खिलाड़ी का कहना है कि पहले के मुक़ाबले अब के निशानेबाज़ों की सोच में काफ़ी बदलाव आया है। इनमें से अधिकतर निशानेबाज़ों को इंटरनेशनल निशानेबाजी खेल महासंघ में वर्ल्ड कप समेत अलग-अलग टूनार्मंट में भाग लेने का अनुभव है। इन खिलाड़ियों ने जीत का अनुभव भी चखा है।
नये खिलाड़ियों की एकाग्रता बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही खिलाड़ियों को ये भी बताया जा रहा है कि ओलंपिक उनके करियर की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है। नारंग अपनी शिष्य इलावेनिल वालारिवान को वीडियो कॉल के ज़रिये गाइड करते हैं और अच्छे प्रदर्शन के लिये मोटीवेट करते रहते हैं।
वहीं जब नारंग से भारतीय खिलाड़ियों और उनके कोच के रिश्ते को लेकर बात की गई, तो उन्होंने कहा उन्हें असल में इसकी सही और पूरी जानकारी नहीं है। वो कहते हैं झगड़े का पता नहीं, लेकिन इतना पता है कि कुछ एथलीट्स कुछ ख़ास कोचों के साथ ट्रेनिंग ले रहे हैं। वहीं जब खिलाड़ी ओलंपिक गये, तो उनके कोच का सेट उनके साथ नहीं गया।