Tokyo Olympics - कभी जर्मनी से ओलंपिक फाइनल में हारे थे ग्राहम रीड, आज बतौर कोच जर्मनी से लिया बदला

ग्राहम रीड ने 41 साल बाद हॉकी में भारत को ओलंपिक मेडल दिलाने में खास भूमिका निभाई
ग्राहम रीड ने 41 साल बाद हॉकी में भारत को ओलंपिक मेडल दिलाने में खास भूमिका निभाई

टोक्यो ओलंपिक भारतीय खेल इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। 41 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारत को हॉकी में ओलंपिक मेडल मिला है। पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर न केवल कांस्य पदक जीता, बल्कि 4 दशक से चला आ रहा ओलंपिक मेडल का सूखा खत्म किया। आखिरी बार 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारत ने हॉकी का टीम गोल्ड जीता था। इस जीत में अहम भूमिका निभाई टीम के कोच ग्राहम रीड ने जो साल 1992 में ओलंपिक सिल्वर मेडल जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा थे।

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जर्मनी से मिली थी मात

ग्राहम रीड ऑस्ट्रेलिया की हॉकी टीम के लिए बतौर डिफेंडर और मिडफील्डर खेलते थे। रीड साल 1992 में बार्सिलोना ओलंपिक में भाग लेने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा थे। ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी, दोनों ही तगड़ी टीमें थीं और एक ही ग्रुप में थीं और दोनों ने 5 में से 4 मैच जीते थे जबकि उनके आपस का ग्रुप मैच 1-1 से ड्रॉ रहा था। दोनों टीमें सेमीफाइनल में पहुंची। ऑस्ट्रेलिया ने नीदरलैंड को 3-2 से हराया और जर्मनी ने पाकिस्तान को 2-1 से मात देकर फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में जर्मनी की टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारी पड़ी और 2-1 से रीड की टीम मैच हार गई और उनके हाथ से गोल्ड मेडल निकल गया।

29 साल बाद लिया जर्मनी से बदला

अटैक लाईन अप को और मजबूत बनाने का श्रेय रीड को जाता है
अटैक लाईन अप को और मजबूत बनाने का श्रेय रीड को जाता है

रीड के निर्देशन में टोक्यो ओलंपिक में टीम इंडिया ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और टीम ने पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ दो मैच हारे, वो भी अपने से ऊपर की रैंकिंग वाली ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम से। क्योंकि रीड जर्मनी की हॉकी के तरीकों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं, ऐसे में उन्होंने कांस्य पदक के लिए हो रहे मैच में टीम को इस तरह तैयार किया कि वो पिछड़ने के बाद वापसी कर पाए। इसलिए एक समय 3-1 से पिछड़ रही भारतीय हॉकी टीम ने मैच में शानदार वापसी करते हुए 5-4 से ऐतिहासिक जीत दर्ज की और 41 साल बाद भारत को ओलंपिक में हॉकी का मेडल मिल गया।

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कठिनाईयों के बीच टीम इंडिया को दी मजबूती

टोक्यो में कांस्य पदक जीतने वाली टीम इंडिया
टोक्यो में कांस्य पदक जीतने वाली टीम इंडिया

रीड ने साल 2019 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम की कोचिंग की कमान संभाली थी। 57 साल के रीड इससे पहले ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के कोच भी रह चुके हैं। रीड के निर्देशन में ऑस्ट्रेलिया ने दो बार चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड लीग फाइनल भी जीता। खास बात ये है कि 2016 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराया था। साल 2019 में रीड भारतीय पुरुष टीम के साथ जुड़े और 2020 और 2021 में कोविड-19 लहर के बीच टीम को ओलंपिक के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में रीड ने भारतीय अटैक को जिस तरह और मजबूती दी है, वो काबिले तारीफ है।

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सपोर्ट स्टाफ का साथ

रीड के साथ ही पुरुष हॉकी टीम के सपोर्ट स्टाफ का भी जीत में पूरा योगदान रहा। आमतौर पर मैदान पर खेल रहे खिलाड़ी ही हमें दिखते है लेकिन कोच ग्राहम रीड का साथ दे रहे सपोर्ट स्टाफ ने भी टीम के साथ काफी मेहनत की। जूनियर टीम के कोच रहे ग्रेग क्लार्क पुरुष टीम के साथ एनेलिटिकल कोच के रूप में जुड़े हैं, जबकि शिवेंद्र सिंह और पीयूष कुमार दुबे चीफ कोच रीड के साथ कोच के रूप में टीम को संभाल रहे हैं। टीम के साइंटिफिक एडवाइजर रॉबिन एंथनी वेब्सटर आर्केल गेम के आंकलन में टीम की सहायता करते हैं जबकि बतौर वीडियो एनेलिस्ट अशोक कुमार की प्रतिद्वंदी और टीम इंडिया के हर मूव पर नजर रहती है। खिलाड़ियों की शारीरिक कठिनाईयों को दूर करने का काम फिजियो रतिनासामी कन्नन करते हैं जबकि मांसपेशियों पर दबाव को कम करने के लिए बतौर मसूस अरूप नस्कर टीम में शामिल हैं। इन सभी सपोर्ट स्टाफ का जिक्र इसलिए भी जरूरी है क्योंकि एक टीम के तौर पर काम करने के बाद ही खिलाड़ी नीली जर्सी में हॉकी टर्फ पर इतिहास रचने के काबिल हुए।

सोशल मीडिया पर वाहवाही

भारत में हॉकी को फिर से नया मुकाम देने के लिए देश का हर खेल प्रेमी रीड की तारीफ कर रहा है। रीड शांत किस्म के व्यक्ति हैं, सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव नहीं रहते और 14 महीने बाद टीम को बधाई देते हुए ट्वीट किया है। रीड के निर्देशन में टीम ने जिस तरह ओलंपिक मेडल की दावेदारी पेश की है उसके लिए देश के सभी खेल प्रेमी उन्हें धन्यवाद दे रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कप्तान मनप्रीत और कोच रीड से फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी।

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Edited by निशांत द्रविड़
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