आखिरकार 32वें ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का समापन हो ही गया। जापान की राजधानी टोक्यो ने पिछले दो हफ्तों से जिस तैयारी के साथ दुनियाभर के खिलाड़ियों की मेजबानी की वो बेहतरीन रही। टोक्यो के नेशनल स्टेडियम में भव्य आतिशबाजी, बेहतरीन प्रदर्शन और अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के प्रतिभाग के बीच इन ओलंपिक खेलों का समापन हो गया। भारत के लिए इस समापन समारोह में राष्ट्रीय धव्ज को थामकर चलने का मौका मिला रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले 'सुल्तान' बजरंग पुनिया को।
बजरंग के हाथों तिरंगा
कोविड के कारण पूरे ओलंपिक में किसी भी स्पर्धा में दर्शक नहीं आए थे, ओपनिंग सेरेमनी भी दर्शकों के बिना हुई थी। लेकिन मेजबान देश ने न पूरे 17 दिनों के आयोजन में कोई कमी छोड़ी और न क्लोजिंग सेरेमनी में कुछ कमतर किया, बल्कि जापान ने जिस शानदार आतिशबाजी और प्रोग्राम के बीच ओलंपिक की अगली मेजबानी पेरिस को सौंपी वो बेहद सुंदर थी। सभी देशों से एक-एक ऐथलीट उस देश का ध्वज लेकर अलग से स्टेडियम के बीचों बीच आए।
भारत का तिरंगा कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान बजरंग पुनिया ने थामा। बजरंग ने बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद ये मौका पाया। 65 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा में बजरंग पुनिया सेमीफाइनल तक पहुंचे, जहां तीसरी वरीयता प्राप्त बजरंग को दूसरी वरीयता प्राप्त अजरबेजान के पहलवान के हाथों हार मिली। लेकिन अगले ही दिन बजरंग ने कांस्य पदक के मैच में पूरा दमखम जोख दिया और कजाकिस्तान के पहलवान को एकतरफा मुकाबले में 8-0 से मात देकर देश के नाम एक और पदक कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से ऐतिहासिक हैंडओवर
स्थानीय फैन नेशनल स्टेडियम के बाहर लंबी लाइन में खड़े होकर वहीं से पूरे आयोजन को सपोर्ट कर रहे थे और समापन समारोह का हिस्सा बने। टोक्यो के गेम्स खत्म होने पर आधिकारिक रूप से पेरिस 2024 के लिए काउंटडाउन की घोषणा करने का अंदाज दुनिया में शायद ही किसी ने पहले देखा हो।
अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में तैनात जापानी ऐस्ट्रोनॉट आकी होशिदा ने वहीं तैनात फ्रांस के ऐस्ट्रोनॉट थॉमस पेस्क्वे के हाथों पेरिस की मेजबानी देने की औपचारिकता पूरी की। मेजबानों की ओर से इतनी क्रिएटिविटी से ये पूरी तैयारी करने के लिए दुनियाभर में वाहवाही हो रही है। टोक्यो ने आयोजन सफल करके फ्रांस के लिए एक मानक सेट कर दिया है और अब पेरिस पर दबाव होगा कम से कम टोक्यो के स्तर के खेल आयेजित करने का।
पैरालिंपिक खेलों को तैयार टोक्यो
ग्रीष्मकालीन ओलंपिक समाप्त हो गए हैं लेकिन अभी काम खत्म नहीं हुआ है। 24 अगस्त से दिव्यांग खिलाड़ी पैरालिंपिक खेलों में अपना दमखम दिखाएंगे। भारत की ओर से 9 स्पर्धाओं में कुल 54 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। पहले पैरालिंपिक खेल 1960 में रोम में आयोजित हुए थे। दुनियाभर के खेल प्रेमियों को यकीन है कि जिस तरह ओलंपिक खेलों का कोविड के बावजूद आयोजन इतनी धूमधाम से किया, इसी तरह पैरालिंपिक खेलों के आयोजन में भी कोई कमी नहीं होगी।
इतनी परेशानियों के बीच बिना दर्शकों के ओलंपिक खेलों का अद्बभुत तरीके से आयोजन करके जापान ने मिसाल पेश की है। ई-वेस्ट से बने मेडल हों या फिर ऐथलेटिक्स ट्रैक पर शानदार टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल, टोक्यो ने ओलंपिक के आयोजन में अपने देश की काबिलियत को बखूबी दर्शाया है।
तकनीक और पर्यावरण को सहेजने के तरीकों का आपसी तालमेल दिखाकर दुनिया को खास संदेश भी दिया है। 32वें ओलंपिक खेल भारत के लिहाज से भी ऐतिहासक रहे क्योंकि इतने पदक पहली बार किसी ओलंपिक में देश को मिले हैं। तो अब हमें भी इंतजार रहेगा 3 साल बाद होने वाले पेरिस खेलों का।