टोक्यो ओलंपिक में भारत ने पुरुष हॉकी में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर-फाइनल में अपनी जगह बना ली है। मनप्रीत सिंह की अगुवाई में हॉकी टीम का खेल सुधर रहा है और टीम वाकई अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ आक्रामक होकर खेल रही है। ऐसे में खेल प्रेमी टीम से इस बार पदक की उम्मीद कर रहे हैं।
भारत के ओलंपिक अभियान की शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत से हुई थी, जहां टीम ने 1-0 से पिछड़ने के बाद मुकाबला 3-2 से अपने नाम किया था। हालांकि अगले मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम को 7-1 की करारी हार मिली, जिसके बाद टीम के मनोबल टूट जरूर गया था लेकिन अगले दोनों मैच जीतकर टीम ने अंतिम-8 में जगह बना ली। भारत ने रियो ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर नॉकआउट दौर में प्रवेश किया।
अटैक को रखना होगा जारी
भारतीय टीम के खिलाड़ियों के खेल में पिछले कुछ सालों में काफी तेजी देखने को मिली है। बॉल का पास सटीक और फास्ट है, शुरुआत से ही टीम प्रतिद्वंदी के गोल के पास अटैक करने की मुद्रा में रह रही है। स्पेन और 2016 की गोल्ड मेडलिस्ट अर्जेंटीना के खिलाफ भारत ने इसी तरह से शुरुआत की थी। श्रीजेश भी गोल पोस्ट का बचाव अच्छे से कर रहे हैं और ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले को छोड़ दें तो श्रीजेश ने बाकि मैचों में कई पैनेल्टी कॉर्नर बचाकर ड्रॉ होते मैचों को भारत की जीत पर रोक दिया। कोच ग्राहम रीड की मेहनत का असर जरूर टीम के खेल पर दिख रहा है, लेकिन अब भी काफी पहलू हैं जिनपर मजबूती से काम करने की जरुरत है।
डिफेंस को मजबूत करना जरुरी
कप्तान मनप्रीत की अगुवाई में टीम का मिडफील्ड मजबूत दिख रहा है। फॉरवर्ड में मंदीप सिंह, सिमरनजीत सिंह, रमनदीप की लाइन अप अपना बेहतरीन खेल खेल रही है जिसे और मजबूत किया जा सकता है। पेनेल्टी कॉर्नर की बात करें तो रुपिंदर पाल सिंह और हरमनप्रीत पर पूरा दारोमदार है और अभी तक दोनों ने ही अच्छे परिणाम ही दिए हैं । अर्जेंटीना के खिलाफ मुकाबले में रुपिंदर पाल ने न केवल एक पेनेल्टी कॉर्नर को सफल बनाया बल्कि एक पेनेल्टी को भी गोल में तब्दील किया। लेकिन पेनेल्टी कॉर्नर का कन्वर्जन रेट बढ़ाना जरूरी है क्योंकि आगे सीधे नॉकआउट मुकाबले होने हैं। इसके साथ ही ट्रांजिशन के दौरान अर्जेंटीना के खिलाफ कुछ मौकों पर भारत का डिफेंस अपने डी में नहीं दिखा , ऐसे में इस पर कार्य करने की आवश्यकता है।
कुछ खास नहीं रहे पिछले ओलंपिक
कभी हॉकी के मैदान पर दुनिया में राज करने वाली भारतीय टीम के लिए 1980 ओलंपिक में गोल्ड के बाद किसी भी ओलंपिक में भारतीय पुरुष टीम सेमीफाइनल में जगह नहीं बना पाई है। यहां तक कि 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए तो भारतीय टीम क्वालिफाय ही नहीं कर पाई थी। साल 2012 के लंदन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने क्वालिफाई जरूर किया था लेकिन टीम खराब प्रदर्शन के साथ सबसे आखिरी 12वें नंबर पर आई थी।
रियो ओलंपिक में टीम ने पूल मुकाबलों में 5 में से 2 मैच ही जीते थे, लेकिन क्वार्टर-फाइनल में पहुंची थी जहां बेल्जियम ने उसे 3-1 से हरा दिया था। ऐसे में टोक्यो में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1 मैच को छोड़ दें तो भारत ने बाकि सभी में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। टीम में हार्दिक और दिलप्रीत सिंह जैसा युवा जोश है तो बीरेंद्र लाकरा, अमित रोहिदास जैसे खिलाड़ियों का अनुभव भी। ऐसे में टीम लय में दिख रही है और इसलिए फैंस और टीम के खिलाड़ी भी चाहेंगे कि क्वार्टर-फाइनल जीत कर सेमीफाइनल में जाने और पदक की ओर कदम बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश हो।