टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर 41 साल से ओलंपिक में पदक ना जीतने का सूखा खत्म कर दिया। आखिरी 6.5 सेकेंड तक जर्मनी ओर भारत दोनों को पता नहीं था कि कांस्य पदक कौन जीतेगा? लेकिन वो कहते हैं ना अंत भला तो सब भला। कुछ ऐसा ही इस टीम के साथ देखने को मिला। मनप्रीत सिंह की अगुवाई में भारतीय टीम ने जो स्वर्णिम इतिहास लिखा उसकी कायल पूरी दुनिया बन गई। इस इतिहास के साथ भारतीय खेल के लिए एक और इतिहास लिखा गया। राजीव खेल रत्न का नाम बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न नाम रख दिया गया है।
टोक्यो ओलंपिक जिसके कोविड माहामारी के वजह से शुरू होने से आसार नहीं लग रहे थे, वो हर भारतवासियों को इतनी सुनहरी यादें देकर जाएगा इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी किसी ने। पूरी भारतीय टीम अब तक मेडल के साथ सो रही है। केंद्र और राज्य सरकार ने इनाम राशि की घोषणा कर दी है। लेकिन इतिहास लिखना इतना आसान नहीं था। जब कुछ आप पाने की चाह रखते हो तो वो आपको खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसी ही आज हम आपको भारतीय हॅाकी टीम की एक खिलाड़ी की कहानी सुना रहे हैं, जिसका नाम ललित उपाध्याय है। ललित, उत्तर प्रदेश के वाराणसी से ताल्लुक रखते हैं। उत्तर प्रदेश ने भारत को कई दिग्गज खिलाड़ी दिए हैं, जिसकी कायल पूरी दुनिया है।
मेजर ध्यानचंद से लेकर मोहम्मद शाहीद और अब ललित उपाध्याय। ऐसे तो ललित काफी समय से देश के लिए खेल रहे हैं, लेकिन ओलंपिक जैसे प्रतियोगिता में भारतीय दल का हिस्सा रहना और मेडल जीतना ये कोई आम बात नहीं है। ललित बताते हैं कि वो 6 महीने से अपने घर वाले से नहीं मिल पाए हैं। लेकिन वो इसके साथ वो इस बात पर भी खुश हैं कि वो अब मेडल के साथ अपने शहर वापस लौटेंगे। वाराणसी के इस खिलाड़ी ने हॅाकी इंडिया समेत भारत सरकार के हर एक अधिकारी को धन्यवाद दिया है। जिन्होने खिलाड़ियों को हर एक सुविधा मुहैया करायी जिसके वो हकदार थे। ललित पत्रकारों से बात करते हुए कहते हैं कि वो सपने में भी हॅाकी स्टिन ताने देश के लिए खेलने को तैयार रहते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय टीम के हर एक खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन की सराहना की है। हालांकि अभ तक ये नहीं तय हो पाया कि अपने प्रदेश के खिलाड़ी को वहां की सरकार सम्मान के लिए क्या करने वाली है।