ओलंपिक में भारतीय दल के विभिन्न स्पर्धाओं में निराशाजनक प्रदर्शन के बीच बीतें दिन काफ़ी अच्छे रहे हैं। टोक्यो ओलंपिक में भारत की पुरुष हॉकी टीम जो कारनामा कर दिखाया, वो वाकई क़ाबिले-ए-तारीफ़ है। दशकों बाद ओलंपिक में इतना बेहतरीन नज़ारा देख कर करोड़ों भारतीयों की आंखें नम थीं। पल भावुक कर देने वाला था। भारत को उम्मीद थी कि अब हॉकी टीम सेमीफ़ाइनल की रेस जीत फ़ाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहेगी। लेकिन पुरूष हॉकी टीम फ़ाइनल तक नहीं पहुंच पाई। ख़ैर, किस्मत भी कोई चीज़ होती है। भारतीय पुरूष टीम के बाद अब भी कांस्य पदक जीतने का मौका है। वहीं महिला हॅाकी टीम के पास स्वर्ण पदक जीतने का अभी भी मौका है।
सरकारी आंकड़े के बारे में बात करें तो भारतीय हॅाकी टीम पर करीबन इस ओलंपिक के लिए 10 करोड़ से ज्यादा खर्च किया जा चुका है।
महिला हॉकी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए बस उस पल शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म 'चक दे इंडिया' की याद आ गई। फ़िल्म में महिला टीम की जीवीका और संघर्ष को दर्शाया गया था। टीवी पर ओलंपिक मैच देखते हुए लग रहा था जैसे हम फ़िल्म का दृश्य देख रहे हों। भारतीय टीम के कोच की मेहनत आस्ट्रेलिया के मज़बूत टीम के सामने अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ सत्तर मिनट देने वाली लड़कियों ने कमाल ही कर दिया। इसी के साथ समाज को एक कड़ा संदेश भी दिया।
आज से पहले हम में से शायद ही कोई होगा जिसने भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के बारे में जानने की कोशिश की होगी। पर आज हर कोई भारतीय बच्चियों की तारीफ़ में जुटा है। महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन पर भारतीय महिला टीम की कप्तान रानी रामपाल का कहना है कि जब हम जीते तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ, आज हर कोई हमारे लिए ताली बजा रहा है।
अगर रानी के शब्दों पर ग़ौर किया जाये, तो आपने उनके शब्दों में आपको खुशी और व्यथा दोनों की झलक दिखेगी। अब अगर हमने महिला हॉकी टीम की इतनी तारीफ़ कर दी है, तो बस एक काम और करियेगा। एक भारतीय और इंसान होने के नाते हम सभी को इस टीम की जीत की ख़ुशी के लिये दुआ करनी चाहिये। 2008 बीजिंग ओलंपिक के बाद इस देश में हॉकी खत्म होता हुआ दिख रहा था। ऐसे में इंडिया का ये प्रदर्शन संजीवनी बूटी का काम करेगा। देश भर में सरकार को कई सेंटर आफ एक्सिंलेंस खोलने पड़ेंगे। जमीनी स्तर पर प्रतियोगिता बढ़ाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।