टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने क्वार्टरफाइनल में जैसे ही 3 बार के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट ऑस्ट्रेलिया को हराया, तो पूरे भारत के खेल प्रेमी खुशी से झूम उठे। टीम पहली बार ओलंपिक के अंतिम-4 में पहुंची है। ऐसे में फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि महिला टीम अपना सेमीफाइनल मुकाबला अर्जेंटीना के खिलाफ जीतकर इतिहास का अपना पहला ओलंपिक फाइनल खेले।
मजबूत रखें अटैक
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम ने पहले दो क्वार्टर्स में काफी अच्छा अटैक दिखाया था। टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल के 49 फीसदी हिस्से में गेंद अपने पास रखी थी, जो काबिले तारीफ है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने 17 बार भारतीय टीम के सर्किल में गेंद पहुंचाई, जो भारत को सेमीफाइनल में भारी पड़ सकता है। अर्जेंटीना ने जर्मनी के खिलाफ मुकाबले में 17 बार गेंद विपक्षी टीम के सर्किल में पहुंचाई। ऐसे में जरूरी है कि टीम इंडिया खुद का अटैर बढ़ाए और अधिक से अधिक मौके प्राप्त करे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे क्वार्टर में आखिरी मिनटों में लगभग पूरा खेल भारत के डी के भीतर हुआ।
टीम का अटैक थोड़ा ढीला पड़ गया था। कप्तान रानी रामपाल क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ज्याद चमक नहीं पाईं, ऐसे में वंदना कटारिया, नवनीत कौर और कप्तान रानी रामपाल को अटैक बढ़ाने की जरूरत होगी।
पेनल्टी कॉर्नर की मजबूती बनाए रखें
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की जीत का मुख्य कारण थीं गोलकीपर सविता जो दीवार की तरह गोलपोस्ट के सामने खड़ी हो गईं और ऑस्ट्रेलिया के 9 पेनल्टी कॉर्नर फेल हो गए। ऐसे में जरूरी है कि अर्जेंटीना के खिलाफ भी पेनल्टी कॉर्नर को रोका जाए, क्योंकि अर्जेंटीना ने जर्मनी के खिलाफ 3 में से 2 गोल पेनल्टी कॉर्नर से किए । इसके साथ ही खुद भी पेनल्टी कॉर्नर का कन्वर्जन बढ़ाना होगा साथ ही पेनल्टी कॉर्नर जीतने भी होंगे।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में टीम इंडिया को सिर्फ 1 पेनल्टी कॉर्नर मिला था जिसे गुरजीत कौर ने गोल में बदल दिया, लेकिन चार क्वार्टर में टीम को सिर्फ एक ही पेनल्टी कॉर्नर मिलना चिंता का सबब हो सकता है। टीम के कोच ज़ोर्ड मरियने ने भी अपने स्तर से टीम के पेनल्टी कॉर्नर डिफेंस पर खूब काम किया है और आयरलैंड के खिलाफ विफल पेनेल्टी कॉर्नर कन्वर्जन में हुई गलतियों से सबक भी लिया है, लेकिन इसे सेमिफाइनल में अच्छे से लागू करना होगा ताकि टीम इंडिया ओलंपिक इतिहास का अपना पहला फाइनल खेल सके।