Tokyo Olympics - कमलप्रीत कौर दिला सकती हैं भारत को ट्रैक एंड फील्ड का ओलंपिक मेडल

कमलप्रीत डिस्कस थ्रो के फाइनल में पहुंच गई हैं
कमलप्रीत डिस्कस थ्रो के फाइनल में पहुंच गई हैं

टोक्यो ओलंपिक में कई प्रतियोगिताएं अपने अंजाम पर पहुंच चुकी हैं और ट्रैक एंड फील्ड में स्पर्धाओं का आगाज शुरु हो चुका है। ऐसे में भारत भी उम्मीद कर रहा है कि ट्रैक एंड फील्ड के किसी मुकाबले में उसे पदक मिले। जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा भारत की आशा बने हुए हैं, लेकिन एक और नाम जिससे देशभर के फैंस को उम्मीद है, वो हैं डिस्कस थ्रो खिलाड़ी कमलप्रीत कौर जिन्होंने महिला फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है।

नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम किया

पंजाब की रहने वाली कमलप्रीत बचपन से ही खेल मे करियर बनाने को तैयार थी। साल 2016 में डिस्कस थ्रो के जूनियर वर्ग में वो नेशनल चैंपियन बनीं। साल 2018 में तबियत खराब होने के कारण कमलप्रीत एशियन गेम्स के लिए क्वालिफाय नहीं कर पाईं, लेकिन उन्होंने इसके बाद फैसला कर लिया कि कुछ भी हो जाए टोक्यो ओलंपिक में पहुंचना ही है। कमलप्रीत ने मार्च 2021 में सीनियर एथलेटिक चैंपियनशिप में 65.06 मीटर की दूरी पर डिस्कस फेंककर न सिर्फ नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया, बल्कि ओलंपिक के लिए क्वालिफाय भी कर लिया। ओलंपिक का क्वालिफायिंग मार्क 63.5 मीटर था। कमलप्रीत ने 2010 कॉमनवेल्थ खेल विजेता कृष्णा पुनिया के 64.76 मीटर के रिकॉर्ड को ध्व्सत किया। इसी के तीन महीने बाद जून 2021 में कमलप्रीत ने पटियाला में हुई चैंपियनशिप में 66.59 मीटर का थ्रो फेंककर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया।

पदक जीतने का मौका

66.59 मीटर कमलप्रीत का पर्सनल और इस सीजन का बेस्ट थ्रो है।
66.59 मीटर कमलप्रीत का पर्सनल और इस सीजन का बेस्ट थ्रो है।

कमलप्रीत का मुकाबला 2 अगस्त को होगा जहां कमलप्रीत के अलावा 11 अन्य एथलीट डिस्कस थ्रो करेंगी। क्वालिफिकेशन में ग्रुप ए और ग्रुप बी के अनुसार मुकाबला हुआ जहां ग्रुप बी में कमलप्रीत ने 64 मीटर डिस्कस फेंका था, जबकि उनके ग्रुप में केवल अमेरिका की वैलेरी ऑलमैन ने ही उनसे ज्यादा 66.42 मीटर की दूरी पर डिस्कस फेंका। वहीं ग्रुप ए में कोई भी एथलीट 64 मीटर के आंकड़े को नहीं छू पाई। भारत की सीमा पुनिया भी ग्रुप ए में थी लेकिन वो क्वालीफाई करने से चूक गईं। हालांकि फाइनल में विश्व की नंबर एक डिस्कस थ्रो खिलाड़ी क्यूबा की यैमी पेरेज, इस सीजन 67.05 मीटर की दूरी नापने वाली जैमेका की शेडी लॉरेंस और पूर्व में 71.41 की लंबी दूरी पर डिस्कस फेंक चुकी क्रोएशिया की सैंड्रा परकोविच से कमलप्रीत को पार पाना होगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि फाइनल में कमलप्रीत अपना पर्सनल बेस्ट भी करती हैं तो पदक की मजबूत दावेदार बन जाएंगी।

लड़की होने की वजह से कई लोगों ने नहीं दिया साथ

पंजाब की रहने वाली कमलप्रीत का रूझान बचपन से ही खेलों की तरफ रहा। मलौत के एक सामान्य कृषक परिवार से आने वाली कमलप्रीत ने डिस्कस थ्रो को बतौर करियर चुना, हालांकि कई नाते-रिश्तेदार घर की बेटी को पढ़ते या घर संभालते देखना चाहते थे । कई रिश्तेदार कमलप्रीत के खेल चुनने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि वो लड़की थीं, लेकिन कमलप्रीत को अपने माता-पिता का साथ मिला जिसके बाद उन्होंने लगातार डिस्कस थ्रो में बेहतर प्रदर्शन किया। साल 2016 में नेशनल अंडर-18 और अंडर-20 चैंपियनशिप कमलप्रीत ने अपने नाम की और आज ओलंपिक के फाइनल में पहुंचकर अपने परिवार और गांव का नाम रौशन किया है।

ट्रैक एंड फील्ड में हाथ खाली

भारत स्वतंत्रता के बाद ट्रैक एंड फील्ड के किसी मुकाबले में कोई पदक नहीं जीत पाया है। हालांकि 1900 पेरिस ओलंपिक में नॉर्मन प्रिचर्ड द्वारा 200 मीटर दौड़ और 200 मीटर बाधा दौड़ में जीते गए 2 सिल्वर मेडल भी भारत के खाते में गिने जाते हैं, लेकिन आजाद भारत के नाम एथलेटिक्स का ओलंपिक मेडल आना अभी बाकी है। ऐसे में सभी की निगाहें 2 अगस्त को होने वाले डिस्कस थ्रो फाइनल पर होंगी जहां कमलप्रीत देश की चुनौती पेश करेंगी।

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Edited by निशांत द्रविड़
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