Tokyo Olympics - सम्मान के लिये मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार ठीक है, लेकिन मेडल का जादू सुविधाओं से चलेगा

मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार
मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार

राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार का नाम बदल कर अब ‘मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार’ कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर ट्वीट करके दी। ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ का नाम सुन कर अधिकतर लोग ख़ुश नज़र आये। आखिर होना भी चाहिये, क्योंकि मेजरध्यानचंद को हॉकी को जादूगर कहा जाता है।

उन्होंने अपनी स्टिक से दुनियाभर में हॉकी के खेल का जादू दिखा कर सबको मोहित कर लिया था। 41 साल का सूखा ख़त्म करते हुए भारतीय पुरुष टीम ने हॉकी में ओलम्पिक ब्रॉन्ज़ मेडल जीता। दशकों बाद भारतीय हॉकी का करिश्मा देखने को मिला। अगर ऐसे में हॉकी के जादूगर के नाम से खेल रत्न सम्मान दिया जाएगा, तो शायद ही इससे बेहतर कुछ होगा।

जिन लोगों को मेजर ध्यानचंद के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, उन्हें उनके बारे में कुछ चीज़ों की जानकारी होनी चाहिये। भारत को 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल मेजर ध्यानचंद की बदौलत ही मिला था। यही नहीं, 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में मेजर ध्यानचंद ने ही सबसे ज़्यादा 14 गोल किए थे।

ध्यानचंद का ये जादू देखने के बाद एक लोकल न्यूज़ ने लिखा था, "ये हॉकी नहीं है, ये जादू था और ध्यानचंद जादूगर है, ओह हॉकी।" इसके बाद ही दुनिया मेजर ध्यानचंद जी को हॉकी के जादूगर के नाम से जानने लगी। अब जब मोदी जी ने खिलाड़ियों को सम्मान देने के लिये खेल रत्न का नाम बदल दिया है, तो हमें उनके इस फ़ैसले का स्वागत करना चाहिये।

पर मोदी जी को दूसरे पहलू पर भी सोचना पड़ेगा। अगर भारतीय खेलों और खिलाड़ियों को ऊंचाई पर ले जाना है, तो खेल रत्न का नाम बदलने से काम नहीं चलेगा । सरकार को नाम बदलने के साथ-साथ खिलाड़ियों के जीवन, सुविधाएं और उनके प्रशिक्षण पर भी ध्यान होगा। जब भी कोई खिलाड़ी मेडल जीतता है, तो हम उसकी वाहवाही करके क्रेडिट लूटने लगते हैं। अखबारों और वेबसाइट्स पर खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानियां लिखे जाने लगती हैं । पर क्यों?

आखिर क्यों मीरा बाई चानू जैसी खिलाड़ी को लकड़ियों को गट्ठर ढो-ढो कर वेट-लिफ़्टिंग की प्रैक्टिस करनी पड़ी? क्यों किसी हॉकी खिलाड़ी को साइकिल की दुकान में काम करके दो वक़्त की रोटी जुटानी पड़ी? कैसे देश के लिये मेडल लाने वाले एथलीट भूखे सो जाते हैं?

आज पूरा देश ओलम्पिक में जीत का जश्न मना रहा है, लेकिन इन ख़ुशियों के असली हकदार सिर्फ़ साहसी खिलाड़ी है। हमें उनकी ख़ुशियों का क्रेडिट लेने का कोई हक नहीं है। अवॉर्ड का नाम बदलने से खिलाड़ियों के दुख-दर्द कम नहीं होंगे। बेहतर होगा कि हम खिलाड़ियों पर ध्यान दें और उन्हें प्रोत्साहित करें।

Quick Links

Edited by निशांत द्रविड़
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications