Tokyo Olympics - मनगढ़ंत कहानियां बनाने पर मनु भाकर के कोच ने गन निर्माता कंपनी मोरिनी पर कसा तंज

Shooting - Olympics
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इन दिनों भारतीय निशानेबाज मनु भाकर और उनके कोच लगातार चर्चा का विषय बने हुए हैं। बीते शनिवार मनु भाकर की पिस्टल में तकनीकी गड़बड़ी हुई, जिस कारण उन्हें निशाना लगाने के लिए लगभग 20 मिनट तक का इंतज़ार करना पड़ा। इस वजह से वो क्वालिफिकेशन से भी बाहर हो गईं, जो हर किसी के लिये काफ़ी निराशाजनक था।

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मनु की हार के बाद एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। मामले में अपना बचाव करते हुए पिस्टल बनाने वाली स्विस कंपनी मोरिनी का कहना है कि अगर भारतीय कोच मदद के लिये आगे आते, तो पिस्टल में आई ख़राबी को जल्द ठीक किया जा सकता था।

कंपनी के अधिकारी की तरफ़ से आये बयान के बाद मनु भाकर के कोच रौनक पंडित ने भी कंपनी पर पलटवार किया है। पंडित ने मनु विरोधियां कहानियां गढ़ने पर पिस्टल कंपनी को जमकर फ़टकार लगाई है। मुद्दे पर अपनी सफ़ाई पेश करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो के ज़रिये कोच ने खेल और उसमें आने वाली परेशानियों की ज़मीनी हक़ीक़त बयां की है।

Shooting - Olympics
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वीडियो में वो बताते हैं कि खेल के दौरान निशानेबाज के लिये पेशेवरों की तलाश करना बेहद मुश्किल होता है। क्योंकि खेल के दौरान पेशेवर भी दर्शकों के बीच बैठ कर अपने नोट्स बना रहे होते हैं। इसलिये उस दौरान मनु का खेल छोड़ कर पेशेवर की तलाश में निकलना बेहद मुश्किल था। वीडियो में उन्होंने मीडिया में मनु विरोधियां कहानियां गढ़ने का आरोप भी लगाया है।

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टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भले ही मनु भाकर प्रदर्शन ख़राब रहा है। लेकिन उम्मीदें यहीं ख़त्म नहीं होती हैं। शूटिंग के जानकारों का कहना है कि अगर बंदूक बदलती, तो उनकी ग्रिप भी बदल जाती। इसलिये अधिकतर निशानेबाज खेल के दौरान अपना हथियार नहीं बदलना चाहते हैं। वो भी जब मुक़ाबला बड़ा और मुश्किल हो। मनु भाकर के साथ जो कुछ हुआ उसमें किसकी ग़लती है किसकी नहीं। इस पर बहस होनी चाहिये। फिलहाल तो इसे उनकी ख़राब क़िस्मत ही कहा जा सकता है।

टोक्यो ओलिंपिक में मनु भाकर के साथ जो हुआ है, उसके बारे में सोच कर दुख लगता है. पर इसके साथ ही हमें ये भी सोचना चाहिये कि इतनी कम उम्र में वो जो कर रही हैं, वो क़ाबिले-ए-तारीफ़ है। इसलिये मनु भाकर के बारे में मनगढ़त कहानियां बनाने से अच्छा है कि हमें मुश्किल घड़ी में उनके साथ खड़ा होना चाहिये। इसके साथ ही मनु और उनके कोच को भी कहानियों से ज़्यादा अपने काम पर फ़ोकस करना चाहिये, ताकि आने वाले समय में मनु भाकर देश और देशवासियों को गर्व करने का मौक़ा दे सकें।

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Edited by निशांत द्रविड़
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