टोक्यो ओलंपिक में भारत की पदक की उम्मीद स्टार बॉक्सर एमसी मैरिकॉम 48-51 किलोग्राम वर्ग में प्री-क्वार्टर फाइनल में अपना मैच हारकर ओलंपिक से बाहर हो गई हैं। कोलंबिया की मुक्केबाज वैलेंसिया विक्टोरिया के खिलाफ नजदीकी मुकाबले में निर्णायकों ने फैसला 3-2 से वैलेंसिया के खिलाफ सुनाया, जिससे मैरीकॉम समेत कई खेलप्रेमी हैरान हो गए।
काफी नजदीकी था मुकाबला
पिछले मैच में बेहतरीन जीत दर्ज करने वाली 2012 लंदन ओलंपिक ब्रान्ज मेडलिस्ट मैरीकॉम ने कोलंबिया की मुक्केबाज के खिलाफ शुरुआत से ही आक्रामक खेल दिखाया। 38 साल की मैरीकॉम और 32 साल की वैलेंसिया के बीच सभी राउंड में बराबरी की टक्कर रही। किसी भी राउंड में जज एकमत नहीं हुए। ऐसे में दोनों ही मुक्केबाजों का खुद को विजेता मानना लाजिमी था।
हार की घोषणा के बाद भी नहीं हुआ यकीन
मैरीकॉम ने एक निजी चैनल को दिए इंटर्व्यू में कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि वो मैच हार गई हैं। स्टेडियम से बाहर आते हुए भी वो सदमें में थीं कि निर्णायकों का फैसला उनके पक्ष में नहीं रहा। मैरीकॉम के मुताबिक वो निर्णय के विरोध में प्रोटेस्ट करना चाहती थीं लेकिन इसकी इजाजत नहीं है। मैच के खत्म होने के बाद मैरीकॉम की आंखों से बहते आंसू साफ देखे जा सकते थे। हालांकि मैरीकॉम ने बड़प्पन दिखाते हुए अपनी प्रतिद्वंदी को हंसकर शुभकामनाएं भी दीं, लेकिन स्टेडियम से बाहर आतीं मैरीकॉम के चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी।
पूरा भारत कर रहा हौसलाफजाई
मैरीकॉम भले ही हार गईं हों, लेकिन देश को बॉक्सिंग जैसे खेल में दुनिया के मैप पर लाने वाली मैरीकॉम के जज्बे का उनकी हार के बाद भी पूरे देश ने समर्थन किया। सोशल मीडिया पर राजनेता, अभिनेता, आम जनता, खिलाड़ी, सभी ने मैरीकॉम को उनके प्रयास के लिए धन्यवाद कहा।
कई बार उठ चुके हैं निर्णायकों पर सवाल
मैरीकॉम के मैच का नतीजा जो भी रहा हो, सबसे अच्छी बात ये रही कि उन्होंने खेल की और निर्णायकों के फैसले की गरिमा बनाए रखी और किसी प्रकार का अप्रत्याशित विरोध नहीं जताया। लेकिन ये हमेशा नहीं होता। ओलंपिक में ही कई मौकों पर खिलाड़ियों ने गुस्से से, मेडल फेंककर या किसी अन्य तरीके से कई स्पर्धाओं में निर्णायकों के फैसले का विरोध पूर्व में किया है। ऐसे में युवा एथलीटों को मैरीकॉम से सीखना चाहिए कि इतने बड़े मंच पर रिंग में कैसे अपना संयम रखा जाए।