टोक्यो ओलंपिक का समापन बेहद विपरीत परिस्थिति में हुआ। स्टेडियम खाली था, लेकिन फिर भी खिलाड़ी फ़ैंस के लिये खेल कर पसीना बहाते रहे। कठिन से कठिन हालातों में भी देश के सम्मान के लिये लड़ते रहे और अपने देश के लिए मेडल लाते रहे। भारत के लिए भी खेलों का ये महाकुंभ बेहद खास रहा।
हिंदुस्तान के खिलाड़ियों ने भी ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए इतिहास रच डाला। अगर पदकों के लिहाज़ से देखा जाये, तो ये भारत का बेस्ट परफॉर्मेंस। इस बार हिंदुस्तान के खिलाड़ी ओलंपिक में बेस्ट परफॉर्मेंस देते हुए कुल सात पदक जीतने में कामयाब रहे। मेडल के लिहाज़ से भारत 48वें पायदान पर रहा। एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज के साथ भारत ने टोक्यो ओलंपिक पदक तालिका में 48वां स्थान पाया। एक ओर जहां हम 48वें पायदान पर रहे वहीं पड़ोसी मुल्कों का तो खाता तक नहीं खुल पाया।
अंक तालिका में 113 मेडल के साथ अमेरिका टॉप 2 में जगह बनाने में कामयाब रहा है। वहीं चीन ने जबरदस्त प्रदर्शन दिखाते हुए चीन ने 88 पदक हासिल किए। मगर क्या आपको पता है हमारे पड़ोसी मुल्कों ने ओलिंपिक में कैसा खेल दिखाया? चलिये एक नज़र पड़ोसी मुल्कों के परफॉर्मेंस पर डालते हैं।
1947 में हुए विभाजन के बाद पाकिस्तान एक अलग मुल्क बन चुका है। यूं देखा जाये, तो भारत और पाकिस्तान को विकास की सीढ़ियां साथ चढ़नी चाहिये, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अफ़सोस टोक्यो ओलंपिक में पाकिस्तान एक भी मेडल जीतने में कामयाब नहीं रहा। सदियों से मेडल की आस में बैठे पाकिस्तान को इस ओलिंपिक से खासा उम्मीदें थीं, लेकिन इस बार भी उनका ये सपना, सपना ही रह गया।
हालाँकि, गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा के साथ फाइनल में पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम भी पहुंचे थे, लेकिन वो पदक के करीब भी नहीं पहुंच पाए। वो अपने मुल्क से फाइनल में जगह बनाने वाले पहले पाकिस्तानी थे। आपको बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में पाकिस्तान ने 22 सदस्यीय दल भेजा था, जिसमें एथलीट की संख्या 10 और अधिकारियों की संख्या 12 थी। पाकिस्तान लगभग तीन दशकों से पदक का इंतज़ार कर रहा है। आखिरी दफ़ा पाकिस्तान ने 1992 में बार्सिलोना ओलिंपिक में हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इस दौरान पाकिस्तानी टीम ने तीसरा स्थान प्राप्त किया था। पाकिस्तान ने ओलंपिक में आज तक 10 मेडल जीते हैं जिसमें 8 हॅाकी टीम ने और 2 व्यक्तिगत मेडल 1 बॅक्सिंग और 1 कुश्ती।
टोक्यो ओलंपिक में बांग्लादेश और श्रीलंका भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाये। सभी खिलाड़ियों को खाली हाथ वापस आना पड़ा।