टोक्यो ओलंपिक में ईरानी शरणार्थी किमिया अलीज़ादेह ने 57 किलो भार वर्ग में जेड जोन्स को राउंड ऑफ़ 16 में कड़ी शिकस्त दी। अलीज़ादेह ने दो बार की ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट को 16-12 से हरा कर बड़ी जीत अपने नाम की। खेल के मैदान में बड़ा उल्टफेर करते हुए वो क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहीं। इसके बाद उन्होंने सेमीफाइनल में भी प्रवेश किया, लेकिन वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा और उसके बाद कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में भी उन्हें हार मिली।
इससे पहले ईरानी शरणार्थी अलीज़ादेह ने 2016 के रियो ओलंपिक में इतिहास रचा था। उन्होंने अपने खेल का उम्दा प्रदर्शन करते हुए ताइक्वांडो में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सबको चौंका दिया था। आपको बता दें कि इसी के साथ वो ओलंपिक जीतने वाली पहली ईरानी महिला बन गईं थीं। इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करके जब उनकी घर वापसी हुई, तो उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और सम्मान मिला। इसी के साथ लोगों ने उन्हें 'सुनामी' नाम भी दिया। अलीज़ादेह ने सिर्फ़ अपने देश को ख़ुशी नहीं दी थी, बल्कि वो वहां की महिलाओं के लिये एक उम्मीद भी बन गईं थीं।
वहीं एक दिन अचानक वक़्त ने करवट ली। बीते साल जनवरी में वो अपने ही देश में लाखों उत्पीड़ित महिलाओं में से एक बन गईं। इसके बाद उन्होंने ख़ुद को बचाने के लिये जर्मनी निकलने का फ़ैसला लिया। अलीज़ादेह ईरान छोड़ कर जर्मनी ज़रूर आ गईं थीं, लेकिन उनके अंदर अभी भी एक ज़िद और जज़्बा बाक़ी था। मुश्किल वक़्त में भी वो ओलंपिक खेलने का सपना देखती रहीं। कठिन हालातों में हिम्मत के साथ वो आगे बढ़ीं और टोक्यो में सपने को हकीक़त में बदल दिया। वो भी एक शरणार्थी के तौर पर।
टोक्यो ओलंपिक में ईरानी शरणार्थी किमिया अलीज़ादेह ईरानी झंडे के तले न खेल कर, इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC Refugee Team) के बैनर के अंतर्गत खेल रही हैं। आपको बता दें कि Tokyo Olympics रिफ्यूजी टीम का दूसरा ओलंपिक है। टोक्यो ओलंपिक में रिफ्यूजी टीम के कुल 29 प्लेयर खेल रहे हैं, जिसमें से तीन प्लेयर ताइक्वांडो के हैं।
बीते रविवार अलीज़ादेह ओपनिंग मैच में ईरान की खिलाड़ी नाहिद कियानी चांदेह को 18-9 से हराने में कामयाब रहीं। जीत के दो घंटे के बाद ही उन्होंने ब्रिटेन की जोंस को शिकस्त दी। अलीज़ादेह को सेमीफाइनल में ROC (रूस ओलंपिक कमिटी) की तातियाना मिनिना और कांस्य पदक के लिए मुकाबले में तुर्की की हेटिस एलगुन ने हराया था।