टोक्यो ओलंपिक भारतीय खिलाड़ियों के लिए कुछ खास नहीं साबित हो रहा है। एक के बाद एक खिलाड़ी पदक की दौड़ से बाहर होते जा रहे हैं। इस सूची में ताजा नाम मनिका बत्रा का जुड़ चुका है। मनिका पदक की दौड़ से बाहर हो गई हैं या ज्यादा चर्चा का विषय नहीं है। मनिका ने भारतीय टेबल टेनिस की टीम के कोच सौम्यदीप रॉय पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें सुतीर्था मुखर्जी का कोच बता दिया है। ये ऐसा पहला मौका नहीं जब मनिका के साथ कोच विवाद हुआ है।
इससे पहले भी 2018 एशियन गेम्स में मेडल जीतने के बाद मनिका ने अपने पर्सनल कोच को बदलकर पुणे में किसी अन्य कोच के साथ प्रशिक्षण करने का निर्णय लिया था। मनिका के इस रवैये को लेकर टेबल टेनिस फेडरेशन आफ इंडिया ने उनपर कड़ा रवैया अपनाने का फैसला किया है। टीटीफआई सेक्रेटरी अरूण कुमार मुखर्जी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ओलंपिक में जानें से पहले हमने मनिका को साफ कर दिया था कि आपको पर्चनल कोच नहीं मिलेगा।
सौम्यदीप रॅाय ही टीम के नेशनल कोच रहेंगे। ऐस में सुतर्थी मुखर्जी का कोच बताना ये कहना गलत है। ये बात सही है कि सौम्यदीप की अकादमी में सुतीर्था मुखर्जी का प्रशिक्षण करती हैं। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वो कोच उनपर विशेष ध्यान देंगे और अन्य खिलाड़ियों पर नहीं। मनिका भी उनके देख-रेख में नेशनल कैंप में अभ्यास कर चुकी हैं। अरूण कुमार ने आगे कहा कि सौम्यदीप से फोन पर बत करते हुए बोला है कि मनिका को लेकर आप टीम के मैनेजर एमपी सिंह के पास शिकायत दर्ज करायी है। भारतीय खेल का दुर्भाग्य कह लीजिये या लोगों की लापारवाही इतने बड़े प्रतियोगिता जिसकी तैयारी कई सालों से चल रही है।
जब आप अच्छा प्रदर्शन ना कर पाए तो एक-दूसरे पर टीका फोड़ दें ये कहां का न्याय है? या तो फिर ये मान लें कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक जैसे प्रतियोगिता के लिए तैयार नहीं है। हमें इन्हें मौका पर मौका देना होगा। खिलाड़ियों को भी ऐसे बयानबाजी से बचना चाहिए की हम ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट में मेडल जीतने के लिए तैयार हैं। अगर आप मेडल जीतने के लिए तैयार हैं तो बिन मेडल वापस आने पर भारतीय खेल मंत्री को इनकी जवाबदेही तय करनी चाहिए। 2018 एशियन और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के बाद रातों-रात शोहरत पाने वाली मनिका के लिए आगे की राह आसान नहीं होने वाली है। बत्रा के ब्रैंड वैल्यू के साथ हो सकता है उन पर कुछ प्रतियोगिता के लिए प्रतिबंध लगा दिया जाए।