Tokyo Paralympics - वो खिलाड़ी जो एक हाथ से करिश्मा दिखाता है 

Tokyo Paralympics
Tokyo Paralympics

टोक्यो पैरालंपिक 2020 की शुरूआत 24 अगस्त से जापान में होने वाली है। ओलंपिक के तर्ज पर भी इस प्रतियोगिता में दर्शन अपने देश के खिलाड़ियों को उत्साह बढ़ाने के लिए स्टेडियम नहीं आ पाएंगे। कोविड के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। 100 देशों के खिलाड़ी खेलों की महाकुंभ में हिस्सा लेने आएंगे। वहीं भारतीय दल के बारे में बात करें तो इस बार खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। इस प्रतियोगिता में भारत की तरफ से 48 खिलाड़ी संग ऑफिसियल इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। वहीं पहली जारी सूची में 54 लोगों का नाम था, जिसे भारत सरकार ने बाद में घटाकर 48 कर दिया।

रियो पैरालंपिक के बारे में बात करें तो भारत की झोली में 4 पदक आए थे। सभी को उम्मीद है इस बार संख्या दोगुना होंगी। भारत के लिए टोक्यो पैरालंपिक में एक खिलाड़ी जिसपर सबकी निगाहें होंगी। वो कोई और नहीं भाला फेंक खिलाड़ी देवंद्र झाझझड़िया हैं। देवेंद्र के बारे में बात करें तो वो एथेंस और रियो पैरालंपिक में वो स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं।

सरकार से जरूर मदद मिलेगी

देवेंद्र ने जब एथेंस पैरालंपिक में पहली बार हिस्सा लिया था। ना तो उनके पास पैसे थे और ना ही आगे जानें का कोई रास्ता दिख रहा था। वो जैसे तैसे करके एथेंस पैरालंपिक में हिस्सा लेने में सफल हुए और कुदरत की करिश्मा देखिए उन्होंने अपने पहले ही पैरालंपिक में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वो पदक जीतकर भी उदास थे। जिसको लेकर उनके पिता ने उन्हें सलाही दी कि सरकार एक दिन तुम्हारे मेहनत को जरूर सराहएगी। हालांकि 2016 पैरालंपिक के बाद हुआ भी कुछ ऐसा लेकिन ये देखने के लिए उनके पिताजी मौजूद नहीं थे।

8 साल की उम्र से एक हाथ का गंवाना

राजस्थान के देवेंद्र झाझझड़िया एक बार स्कूल में बच्चों के साथ खेल रहे थे। खेलते-खेलते हुए उन्होंने नंगी बिजली के तार पर हाथ रख दिया। जिसका नतीजा स्वरूप ये हुआ कि वो हमेशा के लिए एक हाथ के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हो गए। बावजूद इसके देवेंद्र ने वो कर दिखाया जो कोई एक आम इंसान कर सकता था।

टोक्यो पैरालंपिक में देवेंद्र से भी पूरे देश को इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद है। देवेंद्र जैसे कई और खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हैं। जिन्हें हमारे सम्मान की जरूरत है। जब भी खिलाड़ी पदक या बिना पदक जीतें वतन वापस आए तो इनका सम्मान करना मत भूलिएगा।

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Edited by निशांत द्रविड़