Tokyo Paralympics - चोट से उभरे इस खिलाड़ी की कहानी प्रेरणाश्रोत है 

तरूण ढिल्लों भारत के लिए पैरालंपिक में बैडमिंटन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले हैं
तरूण ढिल्लों भारत के लिए पैरालंपिक में बैडमिंटन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले हैं

टोक्यो पैरालंपिक का पर्दापण रंगारंग कार्यक्रम के साथ हो गया है। पैरालंपिक खेलों का आयोजन हर हाल में खास है, क्योंकि इसका आयोजन एक साल बाद हो रहा है। साथ ही इस प्रतियोगिता के शुरू होने से पहले ये कयास लगाए जा रहे थे। इस प्रतियोगिता का आयोजन होगा या नहीं। लेकिन वो कहते हैं ना किसी भी चीज को आप दिल से चाहोगे तो वो आपको जरूर मिलेगी। कुछ ऐसा ही इन पैरालंपिक खिलाड़ियों के साथ भी हुआ।

सभी खिलाड़ी इस प्रतियोगिता के जल्द आयोजन को लेकर प्रार्थना कर रहे थे। ऐसे में एक खिलाड़ी ऐसा भी था, जिसके लिए पैरालंपिक खेलों का विलंब वरदान साबित हुआ। जी हां हम यहां भारत के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी तरूण ढिल्लों के बारे में बात कर रहे हैं। तरूण भारत के लिए पैरालंपिक में बैडमिंटन प्रतियोगिता में पदक जीतने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। आइए इसी क्रम में नजर डालते हैं कि कैसे तरूण के लिए पैरालंपिक खेलों के आयोजन देरी से शुरू होना वरदान साबित हुआ।

1) मेडल जीतने के प्रबल दावेदार हैं तरूण

टोक्यो पैरालंपिक में भारत की तरफ से 7 बैडमिंटन खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं। जिसमें एसएल-4 कैटेगरी में हिस्सा ले रहे तरूण पदक जीतने के होड़ में सबसे आगे हैं। भारत में किसी अन्य खिलाड़ी के समान क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था। 10 साल के उम्र में तरूण एक दुर्घटना का शिकार हो गए, जिसके बाद उन्होंने बैडमिंटन का रूख किया। 19 साल के उम्र में तरूण का नाम उस समय चर्चा का विषय बन गया। जब इस खिलाड़ी ने 2013 विश्व प्रतियोगिता मे स्वर्ण पदक जीता। इस प्रतियोगिता में मेडल जीतने के बाद तरूण की जिंदगी में मेडल का सिलसिला जो शुरू हुआ वो आज तक चल रहा है।

2) टोक्यो पैरालंपिक का देर से शुरू होना वरदान साबित हुआ

2019 विश्व प्रतियोगिता का देर से शुरू होना तरूण के लिए वरदान साबित हुआ। दरअसल 2019 विश्व चैपियनशिप के बाद विश्व रैंकिंग में नंबर-2 खिलाड़ी दाएं पैर के चोट का शिकार हो गए। उसके बाद 2020 पैरालंपिक क्वालीफाइंग प्रतियोगिता में भी इस खिलाड़ी ने को एक और इंजरी की परेशानी हुई। हालांकि तरूण ने हार नहीं मानी और इन परेशानियों से उभरते हुए आगे बढ़ते चले गए।

2 सितंबर को तरूण एक ही लक्ष्य के साथ कोर्ट पर उतरेंगे और वो सिर्फ यही होगा भारत के लिए खेलों के महाकुंभ में पदक जीतना। हमारे देश के कई ऐसे पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जो इस प्रतियोगिता में मेडल जीतने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

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