ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए विश्वविधालय को प्राथमिकता देनी होगी - अनुराग ठाकुर

अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर

टोक्यो ओलंपिक शुरू होने से कुछ दिन पहले ही खेल मंत्री किरेन रिजीजू के जगह अनुराग ठाकुर को लाया गया। इतने बड़े प्रतियोगिता से पहले खेल मंत्रालय बदलना थोड़ा आश्चर्यजनक था। बावजूद इसके सभी को उम्मीद थी कि नए खेल मंत्री भारत के खेलों की किस्मत भी बदल देेंगे और देखिए हुआ भी कुछ वैसा ही। अनुराग ठाकुर के खेल मंत्रालय संभालते ही भारत के खाते में मेडल की झड़ी लग गई। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल कुल 7 पदकों के साथ वापस लौटी है। ओलंपिक इतिहास में ऐसी पहली बार हुआ जब भारतीय खिलाड़ी इतनें पदकों के साथ वापस लौटे हैै ।

निजी अखबार से बात करते हुए ठाकुर ने यूनिवर्सिटीयों को खेलों में बढ़ावा देने को लेकर जोर देने की बात कही है। वहीं आगे कहते हैं कि आप स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी को हो देख लीजिये, वहां के 26 खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीत चुके हैं। भारत को ही इसी प्रकार की रणनीति के साथ काम करना होगा। ऐसा हम कर भी रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिर्वसिटी गेम्स जिसका एक उसका एक उदाहरण है। भारत के हर जिले, कॉर्पोरेट कंपनियों और यूनिवर्सिटी को एक खेल को अपनाना चाहिए। जिससे इस देश में खेलों के लिए एक महौल बनेगा। साथ ही उन्होंने स्पोर्टस फेडरेशन को और बेहतर जवाबदेही पर जोर दिया है।

बीसीसीआई का उदाहरण देते हुए ठाकुर कहते हैं कि आप भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को देख लीजिये, उनके पेशेवर तरीके से काम करने के वजह से इस देश में खेलों को कितना बढ़ावा मिला है।

अनुराग ठाकुर के बारे में बात करें तो वो खुद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं । साथ ही पूर्व में एक रणजी स्तर के क्रिकेटर भी रह चुके हैं। उनका सपना था भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलने का लेकिन यह हो ना सका।

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे आगे कहते हैं। 2028 ओलंपिक में वो हिंदुस्तान को शीर्ष-25 देशों में देखना चाहते हैं। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए सभी को उनसे और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद हो गई है।

उम्मीद करना तो ठीक है। उम्मीदानुसार चीजें होना दो अलग बात है। 2012 लंदन ओलंपिक में भी भारतीय दल 6 पदकों के साथ वापस आयी थी। सभी को लगा 2016 में भारतीय टीम इससे भी बेहतर प्रदर्शन करेगी। लेकिन ये हो ना सका। हमें 2028 से पहले 2024 की योजना के बारे में सोचना होगा कि हम किस तरह से अपने खिलाड़ियों के लिए और बेहतर सुविधा दे पाए। अगर हम अगले ओलंपिक में डबल डिजीट मे पदक की उम्मीद कर रहे हैं। तो आज से ही हमें इस तैयारी में लग जाना होगा।

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Edited by निशांत द्रविड़