ओलंपिक खेलों में खिलाड़ियों को पोडियम पर चढ़ते और पदक पाते तो हम सभी ने देखा है, लेकिन कई लोग सोचते हैं कि आखिर जो एथलीट मेहनत करके ओलंपिक जैसे मंच पर चौथे, पांचवें या छठे पायदान पर आते हैं, क्या उन्हें कुछ नहीं मिलता। आपको बता दें कि ओलंपिक में विजेता समेत अच्छा प्रदर्शन करने वाले अन्य एथलीट को एक खास चीज दी जाती है, जिसे ओलंपिक डिप्लोमा कहते हैं।
टॉप 8 खिलाड़ियों को मिलता है डिप्लोमा
दरअसल, ओलंपिक खेलों में विजेता खिलाड़ियों की जीत को और पुख्ता करने के लिए उन्हें एक अभिलेख दिया जाता है जिसे ओलंपिक डिप्लोमा कहा जाता है। यह डिप्लोमा किसी भी आम सर्टिफिकेट की तरह होता है जो उनके प्रदर्शन के लिए मिलता है। किसी भी स्पर्धा के टॉप 8 एथलीट को ये ओलंपिक डिप्लोमा दिए जाने का प्रावधान है। इस डिप्लोमा में IOC (अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति) के अध्यक्ष और ओलंपिक का आयोजन कर रही समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर होते हैं।
पहले ओलंपिक खेलों से मिल रहा है डिप्लोमा
ऐसा नहीं है कि ओलंपिक में सर्टिफिकेट के रूप में खिलाड़ियों को डिप्लोमा दिए जाने का प्रचलन नया है, बल्कि 1896 के पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों से ही इसकी शुरुआत हो गई थी। शुरुआत में यह डिप्लोमा केवल प्रतियोगिता के विजेता को मिलता था। 1924 में पेरिस में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में ये ओलंपिक डिप्लोमा सभी तीन पदक विजेताओं को दिया गया। और 1984 ओलंपिक से टॉप 8 खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के लिए ये डिप्लोमा दिया जा रहा है।
ओलंपिक एथलीट को भी नहीं है जानकारी
ओलंपिक मेडल के बारे में सभी ऐथलीट और फैंस जानते हैं लेकिन ओलंपिक डिप्लोमा के बारे में कई ओलंपिक एथलीट को भी जानकारी नहीं होती है। आमतौर पर यह डिप्लोमा सेरेमनी में ना देकर एथलीट के साथ आए ऑफिशियल्स को दे दिया जाता है या एथलीट के पते पर भेजा जाता है। ऐसे में कई बार कुछ एथलीट तक उनका डिप्लोमा किन्हीं कारणों से पहुंच भी नहीं पाता। वैसे गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज जीतने वाले एथलीट के डिप्लोमा में पदक के रंग के अनुसार ही छपाई होती है ,जबकि चौथे से आठवें स्थान पर आने वाले खिलाड़ियों के डिप्लोमा सिंपल होते हैं। इसका डिजायन आयोजन समिति तय करती है लेकिन आखिरी मुहर IOC ही लगाता है।
डिप्लोमा ऑफ मेरिट से अलग है ओलंपिक डिप्लोमा
ओलंपिक खेलों और खेलों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए आधुनिक ओलंपिक खेलों के जनक माने जाने वाले चार्ल्स पियर डि कूबर्टिन ने एक विशेष सम्मान को स्थापित किया था जिसे ओलंपिक डिप्लोमा ऑफ मेरिट कहा गया। यह सम्मान एथलीट को मिलने वाले ओलंपिक डिप्लोमा से अलग है। साल 1974 में आखिरी बार यह सम्मान दिया गया था। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रूसवेल्ट को भी यह डिप्लोमा ऑफ मेरिट मिल चुका है।
वैसे आपको बता दें कि इस ओलंपिक डिप्लोमा की मान्यता मेडल से कम नहीं है। यदि किसी खिलाड़ी द्वारा कोई ऐसा कार्य किया जाता है जो उसके ओलंपिक के प्रदर्शन पर सवाल उठाए, तो यह डिप्लोमा वापस भी लिया जा सकता है।