टोक्यो ओलंपिक के खुमार से खेलप्रेमी बस निकल ही रहे हैं। ओलंपिक खेलों में भारत के लिए सुख देने वाली खबर रही क्योंकि न सिर्फ नीरज चोपड़ा के जैवलिन थ्रो गोल्ड की वजह से भारत को ट्रैक एंड फील्ड में पहला गोल्ड मिला बल्कि 41 साल के लंबे इंतजार के बाद हॉकी में देश ने पदक जीता। इस पदक के बाद देश में हॉकी के स्तर में और सुधार आने की उम्मीदें तेज हो चुकी हैं।भारतीय हॉकी के सुनहरे भविष्य की नींव रखी गई 12 अगस्त को जब आजाद भारत ने ओलंपिक में पहला गोल्ड जीता वो भी हॉकी के खेल में।
जी हां। 12 अगस्त 1948 को पहली बार आजाद भारत के एथलीटों ने ओलंपिक खेलों में देश की ओर से भाग लिया था और इसी ओलंपिक में हॉकी का गोल्ड जीतकर हमारे स्वतंत्र देश को खेलों के सबसे बड़े आयोजन का पहला गोल्ड मेडल दिलाया।
ब्रिटेन में ब्रिटेन को दी थी मात
15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद भारत ने 1948 के ओलंपिक खेलों में भाग लिया। ये खेल ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हो रहे थे। क्योंकि इससे पूर्व समस्त ओलंपिक खेलों में हॉकी के मैदान पर ब्रिटिश राज के अधीन रहे भारत की टीम खेलती और जीतती थी, ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि विभाजन के बाद अब हॉकी का फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच देखने को मिलेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अंतिम चार टीमों में भारत, पाकिस्तान, ग्रेट ब्रिटेन और नीदरलैंड शामिल थे।
भारत ने नीदरलैंड को सेमीफाइनल में 2-1 से हराया तो ग्रेट ब्रिटेन ने पाकिस्तान को 2-0 से हरा दिया। ऐसे में फाइनल में भारत और ब्रिटेन का मुकाबला हुआ। 12 अगस्त 1948 को मशहूर वेम्बली स्टेडियम में हजारों दर्शकों के बीच कप्तान किशन लाल की अगुवाई में खेल रही भारतीय टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को उसी के घर में 4-0 से करारी मात देकर आजाद भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता। नीदरलैंड ने पाकिस्तान को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। भारत की जीत में बलबीर सिंह सीनियर ने खास भूमिका निभाई और फाइनल में 4 में से 2 गोल दागे।
लगातार 3 गोल्ड की हैट्रिक
लंदन ओलंपिक के गोल्ड मेडल के बाद भारत ने 1952 के हेलसिंकी और 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भी हॉकी का गोल्ड जीतकर हैट्रिक पूरी की। 1952 के ओलंपिक फाइनल में भारत ने नीदरलैंड को 6-1 से मात दी थी जबकि 1956 के ओलंपिक फाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान को 1-0 से हराकर गोल्ड जीता। हॉकी में लगातार तीन गोल्ड जीतने वाला भारत पहला और इकलौता देश है। हालांकि 1948 से पहले साल 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में भी भारत के खिलाड़ियों ने हॉकी टीम को गोल्ड दिलाया था, लेकिन 1948 में एक आजाद देश के रूप में पहली बार भारत ने ओलंपिक में भाग लिया था, इसलिए 12 अगस्त 1948 के दिन की जीत की अहमियत और बढ़ जाती है।